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कृषि उत्पादों पर शुल्क लागू करना आमजनता, कृषक एवं

व्यापारियों पर अतिरिक्त बोझ: मनोज चौधरी

 

सरायकेला। सरायकेला चेंबर ऑफ कॉमर्स के महासचिव मनोज कुमार चौधरी ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि कृषि उत्पादों पर 2% अतिरिक्त शुल्क लागू करना आमजनता, कृषक एवं व्यापारियों पर अतिरिक्त बोझ है। एक तरफ सरकार जनता व्यापारियों एवं कृषकों की हित की बात करती है। और दूसरी तरफ 2% मंडी शुल्क लगाकर झारखंड में किसानों द्वारा उत्पादित उपज पर टैक्स लगाकर हतोत्साहित करने का काम कर रही है। पिछले 2 वर्षों से आम जनता, कृषक और व्यापारी कोविड-19 में अपनी जान की परवाह किए बगैर अपने कर्तव्य का निर्वहन करते आ रहे हैं। अभी पूरी तरह कोरोना से आम जनता उबर भी नहीं पाई है। सरकार द्वारा जनहित के कार्यों पर ध्यान नहीं देकर जनता की जेब पर बोझ डालने का काम किया जा रहा है।

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बाजार समिति शुल्क संबंधित विधेयक पारित होने पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में अनुपयोगी व अनावश्यक मानते हुए जिस बाजार समिति को भंग किया गया था। पुनः 2022 में उसे वर्तमान की सरकार द्वारा बाजार समिति व्यवस्था लागू करने के संबंध में विधेयक विधानसभा में पारित होना आश्चर्यजनक है।

भारत सरकार द्वारा एक देश एक कर के तहत वर्ष 2017 में जी०एस०टी लागू किया गया था। जिसे व्यापारियों ने सहर्ष स्वीकार किया था। एवं वर्तमान में देश भर के व्यापारियो द्वारा लगभग 1.30 लाख करोड़ का राजस्व इस व्यवस्था के अंतर्गत सरकारों को प्राप्त होता है। तथा इस राजस्व में निरंतर वृद्धि भी दर्ज की जा रही है। जिससे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार आ रहा है। वर्तमान की झारखंड सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का अतरिक्त कर व्यवसाइयों पर थोपा जाना न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने बताया है कि ऐसा किसी भी प्रकार का कर झारखंड के किसी भी पड़ोसी राज्य क्रमशः बंगाल ,बिहार ,ओडिशा में लागू नहीं है।

यदि ऐसी कोई भी व्यवस्था सरकार द्वारा लागू की जाती है तो झारखंड राज्य के आमजन मानस एवं कृषि संबंधित उधोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। झारखंड राज्य में प्रमुख रूप से एक मात्र धान की फसल होती है। इस व्यवस्था के लागू होने से यहाँ के किसानों को आर्थिक नुकसान होगा। एवं महंगाई भी बढ़ेगी। सरायकेला चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के साथ समूर्ण जिले के व्यवसायी इसका पुरजोर विरोध करते है। झारखंड सरकार अविलंब जनहित में इस बिल को वापस ले।

सरायकेला चेम्बर ने झारखंड राज्य की सर्वोच्च व्यवसायिक संस्था FJCCI को पत्र लिखकर इस संबंध में आग्रह करती है कि इस जन विरोधी व्यवस्था का पूरे राज्य में पुरजोर विरोध किया जाना चाहिये। एवं इस व्यवस्था के विरोध में यदि आवश्यक हो तो समूर्ण राज्य में वृहद आंदोलन की रूपरेखा तय की जाए।

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