बुधवार को माघी पूर्णिमा के अवसर पर संत शिरोमणि रविदास
समिति की ओर से उनकी जयंती आदित्यपुर 2 स्थित कल्याण
कुंज भवन में मनाई गई…..
SARAIKELA : विधिवत पूजा अर्चना व आरती के साथ महाप्रसाद का वितरण किया गया। मौके पर अतिथि पुरेन्द्र नारायण सिंह ने कहा कि संत रविदास को कबीरदास का समकालीन माना जाता है। उन्होंने तमाम पदों की रचनाएं कीं, जिन्हें पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल किया गया है। ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ ये काफी मशहूर कहावत है।
इसका अर्थ है कि अगर व्यक्ति का मन शुद्ध है, किसी काम को करने की उसकी नीयत अच्छी है तो उसका हर कार्य गंगा के समान पवित्र है। संत रविदास कबीरदास के समकालीन और गुरुभाई कहे जाते हैं। वे बेहद परोपकारी थे और किसी को ऊंचा या नीचा नहीं मानते थे। मौके पर विशिष्ट अतिथि बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष ओम प्रकाश ने कहा कि मान्यता है कि संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था।
आज 16 फरवरी को माघ पूर्णिमा मनाई जा रही है, ऐसे में आज का दिन संत रविदास की जयंती के रूप में मनाया जाता है। महिला नेत्री शारदा देवी ने कहा कि कहा जाता है कि संत रविदास का जन्म चर्मकार कुल में हुआ था, इसलिए वे जूते बनाने का काम करते थे। वे किसी भी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझते थे। इसलिए हर काम को पूरे मन और लगन से करते थे। उनका मानना था कि किसी भी काम को पूरे शुद्ध मन और निष्ठा के साथ ही करना चाहिए ऐसे में उसका परिणाम भी हमेशा अच्छा ही होगा।
कार्यक्रम में समिति के अध्यक्ष योगेंद्र दास, सचिव कमलेश कुमार राम, कोषाध्यक्ष राजलाल मेहरा, आदि ने जयंती समारोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।