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विश्व आदिवासी दिवस पर टाटा स्टील फाउंडेशन ने

वार्षिक कार्यक्रम संवाद में ट्राइबल फूड

फेस्टिवल का किया आयोजन.

झील पीटा की रही धूम….

जमशेदपुर (आलोक पाण्डे) टाटा स्टील अपने वार्षिक कार्यक्रम संवाद के जरिए विश्व आदिवासी दिवस मनाया, टाटा स्टील फाउंडेशन के बैनर तले जहां एक छत के नीचे लोगों को जनजातीय खानपान और परापरागत संस्कृति का प्रर्दशन किया गया । इस मौका पर जब लोगों को जनजाति कला संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलता है संवाद के दौरान टाटा स्टील फाउंडेशन की ओर से ट्राइबल कल्चरल सेंटर सुनारी में ट्रैवल फूड फेस्टिवल का आयोजन किया गया ।

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इसमें जनजातिय खानपान को प्रदर्शित किया गया झारखंड और उड़ीसा से आए लोगों ने जनजातीय व्यज्जन बनाये, जिनको खाकर लोगों ने खूब लुत्फ उठाया.
फूड फेस्टिवल में जील पीठा की धूम रही वही इस फेस्टिवल के माध्यम से लोगों को पता चला कि, महुआ का इस्तेमाल सिर्फ शराब के लिए नहीं होता बल्कि महुआ की खीर भी बनाई जाती है जिसे आदिवासी समुदाय महुआ खीर बोलते हैं मोमो जैसा दिखने वाला एक व्यंजन डूम्बु खासा आकर्षण का केंद्र बना रहा है,

इसमें आटे का इस्तेमाल होता है और गुड़ /नारियल भरा जाता है मोमोज जहाँ स्पाइसी होता है, वही डूम्बु हेल्थी होता है खिचड़ी जैसा दिख रहे एक व्यंजन सूरी माड़ी यानी सूरी भात के बारे में होम कुक ने बताया कि यह खिचड़ी जैसा ही बनाया जाता है इस को जाहेर स्थल (आदिवासियों का पूजा स्थल )में बतौर प्रसाद चढ़ाया जाता है

इसे जाहेर स्थल पर पुरुष खाते हैं टाटा स्टील फाउंडेशन के प्रतिनिधि श्रेया गांगुली ने बताया कि इन व्यंजनों को बनाने वाला कोई प्रोफेशनल नहीं है इसलिए उनको होम कुक कहा जाता है, प्रिया ने बताया कि जनजातिय फूड में मसालों का बहुत कम प्रयोग किया जाता है इसलिए भी एकदम हेल्दी होते हैं।

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