चौंकिए नहीं जनाब वक्त वक्त की बात है।
एक वह वक्त था, जो युवाओं के आदर्श थे आईएएस छवि रंजन जिनकी आज जेल की सलाखों के पीछे कट रही है रातें…
रांची ब्यूरो ए के मिश्र I यह कटु सत्य है कि वक्त के थपेड़ों से आज तक कोई नहीं बचा है। चाहे राजा हो या रंक। सेना की जमीन को भूमाफियाओं को बेचने के घोटाले में गिरफ्तार छविरंजन एक वक्त था जो युवाओं के आदर्श माने जाते थे। पढाई-लिखाई में तेज तरार मेघावी और मेहनती छवि रंजन ने यूपीएससी में125वां रैंक हासिल कर नाम रोशन किया था। लेकिन बेशुमार दौलत की चाहत और पैसा कमाने की लालच ने भ्रष्टाचार की अंधेरी गली का रास्ता पकड़ा दिया,और बर्बादी की डगर पर ला कर खड़ा कर दिया है।
सेना जमीन घोटाले में गिरफ्तार रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन का यही हाल हुआ है ? आज उनकी हैसियत क्या हो गई है?. और कैसे एक सरकारी मुलाजिम से हटकर मुजरिम के माफिक उनकी जिंदगी कट रही है। यह शायद ही किसी को कहने-बताने की जरुरत है। आज आर्श से फर्श पर आ चुके है। हाकिम की इज्जत पर दाग लग चुका है ।उनकी रातें जेल की सलाखों के पीछे करवटे बदलती बीत रही है। दुर्दांत औऱ छंटे बदमाशों के बीच जान का खतरा जेल में मंडरा रहा है। इसके साथ ही, इन तोहमतों से निकलने के लिए हर रोज नए-नए जद्दोजहद कर रहें हैं।
यानि छविरंजन साहब की जिंदगी बेहद खराब दौर से गुजर रही है, जहां हर रोज किसी न किसी चिज का इम्तहान देना पड़ा रहा है। चाहे अपनी ईमानदारी की हो, अपने इज्जत की हो या फिर अपनी बेगुनाही की। अगर देखा जाए तो, झारखंड में पूजा सिंघल के बाद किसी आईएस अफसर की इतनी छवि खराब हुई है, तो वो है, छवि रंजन ।एक बड़े ओहदे पर बैठे एक सरकारी मुलाजिम की गिरफ्तारी, कई सवाल खड़े करती है। प्रश्न खड़ा होता है कि इतनी सुख-सुविधा के बावजूद अधिकारी अपने पद का गलत इस्तेमाल क्यों करते हैं ? . दूसरी बात ये है कि जिनके कंधों पर ही देश की रखवाली की जिम्मेदारी है औऱ वो ही बेपरवाह हो जाए, तो फिर…
ईमानदारी की उम्मीद किससे की जाए ?
सवाल यहां ये भी है कि जिस प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा को पास करने के लिए हर साल लाखों छात्र-छात्राएं मेहनत करते हैं, इनमे से कुछ को ही कामयाबी नसीब होती है। इनके तरफ पूरा देश आशा भरी निगाहों से देखता है, कि ये एक अच्छे अफसर बनकर देश की सेवा करेंगे ।
बुजुर्गों द्वारा कहा गया है कि धन आते जाते रहते हैं।
लेकिन, वो ही पैसे के खातिर अपनी जमीर से सौदा कर बिक जाए, तो इससे बुरा और क्या हो सकता है। बुजुर्गों द्वारा कहा गया है कि धन आते जाते रहते हैं। परंतु अगर इज्जत एक बार चली जाती है ,तो वह दोबारा लौटकर नहीं आती ।