पक्षियों के उन्मुक्त गगन में स्वतंत्र उड़ान की भांति हर भारतीय की स्वतंत्रता का सपना साकार बने: मनोज कुमार चौधरी।
सरायकेला-खरसावां (संजय मिश्रा) हमारा देश आजादी का 75वें साल आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है , ऐसे में इतने वर्षों बाद एक सवाल हमारे जेहन में बार-बार उठता है कि क्या इतने सालों बाद हम वाकई स्वतंत्र हैं ? क्या हमारे सपनों की दुनिया पूरी तरह से साकार हो पाई है ? ऐसे असंख्य सवाल हैं जो नित-प्रतिदिन हमारे जेहन में उथल पुथल मचाते रहते हैं। 75 वें स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर को लेकर सराइकेला नगर पंचायत उपाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी के जिला कोषाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने गणादेश के साथ उक्त बातें साझा की है। उन्होंने कहा है क्योंकि पिछले वर्ष से अब तक पूरे देश में कोरोना महामारी ने जिस तरह कोहराम मचाया। उससे पिछले 74 सालों के विकास के दावों की पोल खुल गई। देश की बड़ी आबादी कोरोना महामारी से संक्रमित हो गई लोगों को ईलाज के लिए अस्पतालों में बेड, ओक्सीजन, ऑक्सीमीटर, दवा तक नहीं मिल रहा था। लाखों जिंदगियां पर्याप्त संसाधन नहीं होने के कारण काल के गाल में समा गई चारों और चीत्कार और कोहराम मचा हुआ था। संसाधन उपलब्ध नहीं होने पर लोग बेबस और लाचार नजर आ रहे थे। आज देश में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। उच्च महंगी शिक्षा प्रणाली आम लोगों से काफी दूर है। समाज में गरीब अमीर और जातिवाद और असमानता की खाई बढ़ती जा रही है। राजनेताओं के आचरण और क्रियाकलापों से लोगों का भरोसा उठता जा रहा है। क्षेत्रीय दलों द्वारा लगाकर संघीय ढांचे पर हमला किया जा रहा है। जातिवाद और वंशवाद की जड़े गहरी होती जा रही है राजनेताओं के व्यक्तिगत स्वार्थ और वर्चस्व की अंधी चाहत से देश की संप्रभुता और अखंडता खतरे में है। सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार व्याप्त है आम लोगों का काम बिना पैरवी या रिश्वत के नहीं होता। देश अभी भी भ्रष्टाचार ,महंगाई ,लुट-पाट ,चोरी-डकैती आदि संकीर्णताओं से घिरा हुआ है ,तो क्या हमने ऐसे स्वतंत्र भारत की बुलंद तस्वीर की कामना की थी , क्या हमने ऐसी आजादी के सपने देखे थे,जहाँ सपने गिरवी हैं और आम-जन मौन तमाशा देख रहा है | सपने तो तब सच हो जब हम कहीं भी निर्भीक विचरण कर सकें, जहाँ सिर्फ अपनी आजादी ही नहीं वरन अपने आस-पास के लोगों की भी आजादी निहित हो ,हर व्यक्ति खुली हवा में साँस ले, कोई भी गरीब न हो ,हर व्यक्ति के पास रोजगार हो ,देश का कोई भी बच्चा कुपोषित ना हो जहाँ सबके लिये एक से कानून हों प्रकृति की विनाश लीला का कोई प्रसंग ना हो चारों तरफ हरा-भरा जंगल हो और हम प्रकृति और एक सुदृढ़ देश की उस मनोरम छटा का आनंद स्वतंत्र रुप से देश के एक मूल नागरिक के तौर पर उठाते रहें। मेरे नजर में एक स्वतंत्र भारत की ऐसी ही छवि दिखती है , ऐसे ही सपनों की आजादी की हम कल्पना करते हैं , जहाँ बस चारों तरफ आह्लाद हो , पंक्षियों का मधुर गान हो,जहाँ नदियाँ स्वच्छ कल-कल करती हुई बहती रहे और हमारा हिमालय प्रहरी की भांति सीना ताने सदैव सुरक्षा में अडिग रहे। देश की बहू बेटी और आमलोग अपने को सुरक्षित महसूस करें सभी को समान नजरों से देखा जाए निष्पक्ष न्याय मिले। स्वास्थ्य शिक्षा और सरकारी नौकरियां सर्वजन को समानता से सुलभ हो। नहीं तो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, जय जवान जय किसान, सर्व शिक्षा अभियान, भ्रष्टाचार मुक्त शासन केवल राजनीतिक नारे बनकर रह जाएंगे।