मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट के लिए टेंडर जारी करेगा 112-114…
रामगढ़:इन्द्रजीत कुमार
पुरे भारत सहित संसार भर का सबसे बड़ा सैन्य सौदा कर सकता हैं। नई रिपोर्ट के अनुसार भारत फ्रांस से एक या दो नहीं, पूरे 112 से लेकर 114 राफेल फाइटर जेट खरीद सकता हैं। भारत ने फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन को इंडियन नेवी के लिए 26 मरीन राफेल विमान खरीदने के लिए लेटर ऑफ रिक्वेस्ट जारी किया गया था। अब फ्रांस की नजरों में इंडियन एयरफोर्स को 112 से 114 राफेल विमान ब्रिकी करना चाहता हैं। भारत औंर फ्रांस के बीच मरीन राफेल फाइटर जेट के लिए सौदे पर बातचीत अंतिम चरम पर हैं।
हम आपको बताते चलें कि एलओआर एक टेंडर डॉक्यूमेंट की तरह होता हैं। जिसमें भारत सरकार ने मरीन राफेल फाइटर जेट में इंडियन नेवी को क्या क्या चाहिए?। उसकी जरूरतों की जानकारी फ्रांसीसी कंपनी को दी गई हैं। अब फ्रांसीसी कंपनी को भारत सरकार को जवाब देना हैं कि क्या वो इंडियन नेवी की जरूरतों को पूरा कर पाएगी या नहीं। इंडियन नेवी मरीन राफेल फाइटर जेट को अपने दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत औंर आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात करना हैं।
एक गुप्त रिपोर्ट के अनुसार इसी कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत होने में कुछ ही समय बाकी हैं। फ्रांस को अभी भी एलओआर का मूल्यांकन करना हैं। 26 जेट के लिए कीमत पर उसके पश्चात बातचीत शुभारंभ प होगी। ऐसा माना जा रहा हैं कि आगामी वर्ष भारत औंर फ्रांस के बीच मरीन राफेल के लिए डीन फाइनल हो जाएगी। इंडियन एयरफोर्स को 36 राफेल विमान बेचने के पश्चात संसारभर से फ्रांस को राफेल के लिए ऑर्डर मिलने शुरू हो गए हैं। सऊदी अरब फ्रांस को 54 राफेल विमान का ऑर्डर दे चुका हैं। अब इंडियन एयरफोर्स फाइटर जेट के लिए टेंडर निकालने वाला हैं। जिसपर फ्रांस ने नजरें जमा रखी हुई हैं।
फ्रांस हासिल कर पाएगा डील?
भारतीय वायु सेना के टेंडर के लिए डसॉल्ट एविएशन का राफेल बोइंग के एफ / ए-18 औंर एफ /15 ई एक्स, लॉकहीड मार्टिन के एफ-21, एसएएबी के ग्रिपेन और दुनियाभर के तीन अन्य प्रमुख लड़ाकू जेट विमानों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा हैं। इंडियन एयरफोर्स के इस सौदे को मदर ऑफ ऑल डील कहा जा रहा हैं। इंडियन एयरफोर्स एक साथ 112 – 114 मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट के लिए टेंडर जारी करेगा।
जिसकी कीमत अरबों डॉलर में होगी। राफेल ने 2013 में 126 जेट विमानों के लिए पिछला टेंडर जीता था। जिसे 2007 में भारतीय वायुसेना द्वारा जारी किया गया था। जिसे मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट खरीद कार्यक्रम कहा जाता था। 2015 में भारतीय प्रधानमन्त्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी महोदया ने उस टेंडर को रद्द कर दिया गया था। उसके पश्चात करीब 8 अरब अमेरिकी डॉलर में 36 राफेल फाइटर जेट के लिए नया सौदा किया गया।
इंडियन एयरफोर्स को हैं फाइटर जेट्स की जरूरत:-
इंडियन एयरफोर्स के एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भारतीय मीडिया को बताया गया कि एयरफोर्स चरणबद्ध तरीके से एमआरएफए के छह स्क्वाड्रन को शामिल करने की योजना बना रहा हैं। कार्यक्रम को डीएपी 2020 की मेक इन इंडिया पहल के तहत आगे बढ़ाया जाएगा। आठ प्रकार के विमानों के लिए प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं। एक्सपर्ट्स फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट के राफेल, बोइंग के F-15EX और साब के JAS-39 ग्रिपेन के मध्य प्रतिस्पर्धा को देखते हैं।
एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा था कि एएसक्यूआर ( एयर स्टाफ क्वालिटी आवश्यकताएं ) को अंतिम रूप दे दिया गया। ओईएम ( मूल उपकरण निर्माताओं ) के साथ विस्तृत बातचीत हुई हैं। चयनित श्रेणियों की स्वदेशी सामग्री औंर मेक इन इंडिया प्रावधानों के लिए ओईएम प्रतिबद्धताएं मांगी जा रही हैं। भारत में निर्मित किए जा रहे एमआरएफए पर स्वदेशी रूप से विकसित ए-ए ( एयर-टू-एयर ) और ए-जी (ज्ञएयर-टू-ग्राउंड ) हथियारों को एकीकृत करने की परिकल्पना की गई। इंडियन एयरफोर्स ने 2018 में आरएफआई जारी की गई ।
अरबों डॉलर के सौदे के लिए पुरे संसारभर के विमान निर्माताओं से उत्साहजनक प्रतिक्रिया व्यक्त किया गया। नए एएसक्यूआर स्थापित करने के पश्चात ही अब इंडियन एयरफोर्स आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) के लिए एक प्रस्ताव भेजने के लिए सरकार की स्वीकृति का आशावान हैं। पुर्व एक वर्ष से एमआरएफए डील पर कोई हलचल नहीं हुई हैं। भारतीय वायुसेना के पूर्व उप प्रमुख एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने एयरो इंडिया 2023 (फरवरी में आयोजित) के दौरान पत्रकारों से कहा था कि आगामी तीन से चार महीनों में सरकार से एओएन मिलने की उम्मीद हैं। हालांकि, नवंबर आ चुका हैं।
भारतीय वायुसेना को अभी तक एओएन प्रदान नहीं किया गया। जिसके पास वर्तमान में 31 स्क्वाड्रन की शक्ति हैं। लड़ाकू स्क्वाड्रन की ताकत घटती जा रही हैं। बेड़े की उम्र बढ़ती जा रही हैं। इंडियन एयरफोर्स अब जल्दबाजी में हैं। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (पीएलएएएफ) के लिए डेटरेंट के तौर पर पहचाने जाने के लिए भारतीय वायुसेना को कई विमानों की आवश्यकता हैं। एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि वे (इंडियन एयरफोर्स) भारत सरकार को यह समझाने में सक्षम नहीं हैं कि इतनी बड़ी संख्या में आयातित विमानों की आवश्यकता क्यों हैं? विमान डिलीवरी तक की पूरी प्रक्रिया में 6 से 7 साल लगेंगे। तब तक तेजस एमके-2 भी बेड़े में शामिल होने के लिए तैयार हो सकता हैं। भारत सरकार के फैसले में देरी की ये एक बड़ी वजह हो सकती हैं।
भारतीय वायुसेना ने भारत सरकार की मेक इन इंडिया नीति पर चलते हुए। पहले ही 90 हल्के लड़ाकू विमान तेजस एमके1 का ऑर्डर देने का इरादा जता चुकी हैं। भारत की तत्काल जरूरतों को पूरा कर सकता हैं राफेल।अपनी लड़ाकू क्षमता बनाए रखने के लिए भारतीय वायुसेना को 114 एमआरएफए की तत्काल जरूरत हैं। राफेल का फायदा यह हैं कि अब इंडियन एयरफोर्स पहले से ही इस विमान का प्रयोग कर रही हैं।
इंडियन नेवी भी राफेल को अपने बेड़े में शामिल करने वाली हैं। एक्सपर्ट्स राफेल को इंडियन एयरफोर्स के लिए लाभदायक बता रहे हैं। भारतीय वायुसेना के पदाधिकारी इसे पहले से तय निष्कर्ष के रूप में नहीं देखते हैं। एएसक्यूआर को नए सिरे से निर्धारित किया गया। रक्षा अधिग्रहण में एएसक्यूआर का निर्माण सबसे महत्वपूर्ण चरण हैं। यह गुणवत्ता, उचित मूल्य औंर प्रतिस्पर्धा निर्धारित करता है।