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ओत् गुरु कोल लाको बोदरा की 106वीं जयंती पर आदिवासी संस्कृति कला केंद्र पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन; ओत गुरु को नमन कर कहा…..

 

कांग्रेस ने हमेशा से आदिवासी मूलवासी के मांगो और आंदोलनों को कुचलन का काम किया है; भाजपा ने आदिवासी मूलवासी के दर्द को समझ किया है उनका सम्मान…

 

सरायकेला: संजय मिश्रा । आदिवासी हो भाषा के वारंग क्षिति लिपि के जनक और हो भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार रहे ओत् गुरु कोल लाको बोदरा की 106वीं जयंती समारोह-2024 का भव्य आयोजन आदिवासी संस्कृति कला केंद्र बलरामपुर बड़बिल सरायकेला में किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और विशिष्ट अतिथि के तौर पर जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा ने शामिल होकर कार्यकर्ताओं और समाज के लोगों के साथ कला केंद्र स्थित ओत् गुरु कोल लाको बोदरा की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। इस अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक नृत्य कार्यक्रम आदिवासी पारंपरिक के ज्ञान संरक्षण और मानकी मुंडा सम्मान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि आज का दिन खास है, जब आदिवासी हो भाषा के साहित्यकार और वारंग क्षिति लिपि के जनक ओत् गुरु कोल लाको बोदरा को हम उनके जन्म जयंती पर याद कर रहे हैं।

जिन्होंने हो भाषा के संरक्षण और विकास के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। आज उसी को सम्मान देने का काम देशभर में भारतीय जनता पार्टी कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा से ही आदिवासी मूलवासियों के मांगो और आंदोलन को कुचलने का काम किया है। जबकि भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासी मूलवासियों के दर्द को समझते हुए उनका सम्मान देने का काम किया है। इसी दर्द को समझ कर तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने आदिवासी मूलवासियों के वर्षों पुरानी मांग को पूरा करते हुए अलग झारखंड राज्य के सपने को साकार किया था। उन्होंने कहा कि बरसों से आदिवासी हो भाषा और उसके वारंग क्षिति लिपि के संरक्षण और भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की जाती रही है।

इस बार भी दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने के पश्चात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने त्वरित संज्ञान लेते हुए प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता कर इस दिशा में पहला का आश्वासन दिया है। इसके लिए उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का भी आभार जताया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के व्यापक सोच का परिणाम है आदिवासी संस्कृति कला केंद्र। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने राज्य और क्षेत्र के विकास की नई गाथा लिखी है। जिसे भूला पाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि आगे भी उनके नेतृत्व में राज्य और क्षेत्र का विकास एवं आदिवासी मूलवासी के कल्याण के आयाम स्थापित किए जाएंगे।


मौके पर सरना फिल्म निर्माता सह आदिवासी हो समाज सरायकेला-खरसावां के जिला संयोजक सावन सोय एवं उपाध्यक्ष मनोज कुमार सोय ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के द्वारा आदिवासी हो समाज के हो भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर अभूतपूर्व सहयोग करने के लिए विशाल फूलमाला और मोमेंटो देकर सम्मानित करते हुए आभार प्रकट किया। सावन सोय ने बताया कि हो भाषा आंदोलन में पूर्व मुख्यमंत्री चंपा इस सोरेन का बढ़-चढ़कर सहयोग करने के लिए आदिवासी हो समाज उनका आभार प्रकट करता है। इस अवसर पर मुख्य रूप से चंचल गोस्वामी, सनद आचार्य, लिपू महंती, सूर्यराज सिंहदेव, सावित्री कुदादा सहित दर्जनों की संख्या में कार्यकर्ता एवं आम जन कार्यक्रम में मौजूद रहे।

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