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दिल्ली : कैग रिपोर्ट्स का क्लियर सीन, निकलेगा भ्रष्टाचार का जीन

संजय कुमार विनीत
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक)_

बीजेपी ने रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर न सिर्फ आम आदमी पार्टी को करारा जवाब दिया, बल्कि राजनीतिक समीकरणों को भी नया मोड़ दे दिया है। अब प्रथम कैबिनेट बैठक में रेखा की सरकार ने 2017 से लंबित सभी सीएजी रिपोर्ट को सदन में रखने का जो फैसला लिया है, उससे आप सरकार की कार्यशैली और विभिन्न विभागों में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर होने की संभावना प्रबल दिख रही है। बीजेपी ने इसे लेकर अब तक जो मशक्कत की, इससे तो यही लगता है कि इसे हल्के में नहीं लेने वाली है और आप नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का नया दौर शुरू हो सकता है।

भाजपा ने महिला सशक्तिकरण, जातीय समीकरण और कार्यकर्ता सम्मान के तिकड़ी फॉर्मूले से दिल्ली की राजनीति में बड़ा दांव खेला और रेखा गुप्ता को दिल्ली की कमान दी‌। इस फैसले के पीछे महिला वोटर्स को साधने से लेकर जातीय गणित तक, ‘टेंपरेरी सीएम’ के बदले परमानेंट सीएम से लेकर अपने उपर महिला नेतृत्व के सवाल का हल तक कर लिया। अब बारी है दिल्ली की सेवा करने की, यमुना मइया की सफाई की। रेखा सरकार इसे लेकर काफी तत्पर भी दिख रही। प्रधानमंत्री मोदी के हर वादों को ससमय पुरा करने के लिए प्लानिंग कर कार्य शुरू कर दिया गया है। इसी कड़ी में एक था
14 सीएजी रिपोर्ट को सार्वजनिक कर आप सरकार की भ्रष्टाचार और धोखा को सामने लाने का। इसे भी प्रथम कैबिनेट बैठक में प्रथम विधानसभा सत्र में टेबल करने का निर्णय ले लिया गया है।

बीजेपी ने विपक्ष में रहते आप सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने की बहुत कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें चुप करा दिया जाता रहा‌। बीजेपी इसे लेकर हर स्तर पर संघर्ष किया। राष्ट्रपति के पास गए, अदालत का दरवाजा खटखटाया, सदन में भी आवाज उठाई गई। लेकिन, सदन में कम संख्या में होने के कारण हर बार सदन में विपक्ष की आवाज को दबा दी गई। अब आप का भ्रष्टाचार सबके सामने उजागर हो पायेगा, इसे लेकर बीजेपी बहुत ही उत्साहित है। सदन में सीएजी की रिपोर्ट रखी जाएगी, बीजेपी का मानना है कि इन रिपोर्ट्स के सार्वजनिक होते ही अब बंद हो चुकी आप सरकार के भारी भ्रष्टाचार का खुलासा होगा।

अगर, विगत 11 जनवरी को मीडिया में लीक सीएजी रिपोर्ट की माने तो इसमें सरकार को 2026 करोड़ रुपए के रेवेन्यू लॉस होने की बात कही गई थी। सीएजी रिपोर्ट को लेकर हाईकोर्ट ने तत्कालीन आतिशी सरकार को फटकार भी लगा चुकी है। जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने स्पष्ट कहा कि सीएजी रिपोर्ट पर विचार करने में जिस तरह से दिल्ली सरकार ने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे इनकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है। हाईकोर्ट के जस्टिस ने रिपोर्ट स्पीकर को भेजकर फौरन विधानसभा में चर्चा नहीं कराये जाने पर इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया था।

दरअसल, विपक्ष में रहते बीजेपी ने यह मुद्दा अनेक बार विधानसभा सत्रों में उठाया, पर सत्तारूढ़ आप विधायकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया के बजाय अपमान का सामना करना पड़ा था। बीजेपी विधायक के तौर पर आवाज उठाने वाले विजेंद्र गुप्ता को बार बार सदन से बाहर अपमानित कर फेंक दिया जाता रहा। स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि विजेंद्र गुप्ता को राष्ट्रपति, उपराज्यपाल और मुख्य सचिव से हस्तक्षेप के लिए अपील करनी पड़ी और यह कोशिश विफल हुई तो छह विधायकों के साथ कोर्ट का शरण लेना पड़ा था। हालांकि, सभी की तरफ से बढ़ते दबावों के बावजूद, आप सरकार ने इनकार कर दिया क्योंकि इससे आप सरकार का भ्रष्टाचार सामने आ जाने का डर था।

बीजेपी द्वारा दिखाये गये लीक सीएजी रिपोर्ट में शराब नीति को लेकर बहुत सारे आरोप लगाये गये हैं। आप सरकार ने नई शराब नीति को रद्द करने के फैसले में न कैबिनेट की मंजूरी ली और न उपराज्यपाल से राय मांगी। कोविड प्रतिबंधों के कारण जनवरी 2022 के लाइसेंस शुल्क के रूप में 144 करोड़ रुपए की छूट रिटेल लाइसेंस धारियों को कैबिनेट की मंजूरी लिए बिना दी गई। जिन वार्ड में शराब खोलने की अनुमति नहीं थी। वहां भी शराब की दुकान के लाइसेंस बांटे गए। ये फैसला भी उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना लिया गया। डिप्टी चीफ मिनिस्टर जिस ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की अगुआई कर रहे थे, उसने एक्सपर्ट पैनल के सुझावों को खारिज कर दिया था। कैबिनेट ने नीति को मंजूरी दे दी थी और कई अहम फैसलों पर तब के उप-राज्यपाल की मंजूरी भी नहीं ली गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायतों के बावजूद सभी को नीलामी की बोली लगाने की मंजूरी दे दी गई थी। जिन्हें घाटा हुआ था, उन्हें भी लाइसेंस दे दिए गए या रिन्यू कर दिए गए थे।

प्रवर्तन निदेशालय ने 5 दिसंबर 23 को दिल्ली के एलजी से आप सुप्रिमो और पुर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ट्रायल चलाने की अनुमति मांगी थी। 21 दिसंबर को आदेश जारी होने पर प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ ED ने इस मार्च 24 में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज किया था। इसी मामले में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, दोनों जेल भी गए। उन दोनों को ही सीएम,डिप्टी सीएम का पद नाटकीय अंदाज में छोड़ना पड़ा। अभी दोनों फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।

भ्रष्टाचार के आरोप में आप के प्रमुख नेताओं को इस तरह पटकनी देने पर बीजेपी खेमें में चुनाव में जीत को लेकर थोड़ी आशा जग चुकी थी, रही सही कसर अच्छे चुनावी प्रबंधन से पुरा कर बीजेपी ने 27 साल के सत्ता के बनवास को खत्म कर दिल्ली पर काबिज हुई।

अब सत्ता का खेल बदल गया है। प्रधानमंत्री ने भी स्पष्ट कर दिया था कि पहले सत्र में ही सभी लंबित सीएजी रिपोर्ट सदन में पेश की जाएंगी। कल रेखा सरकार ने भी कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया है। सीएजी रिपोर्ट के सदन में पेश होते ही यह भ्रष्टाचार का सबूत सामने आ जायेगा कि पिछले दस सालों तक आप सरकार कैसे दिल्ली को लूटती रही। इससे केजरीवाल टीम को इस नये आरोपों के लिए भी जवाबदेह होना पड़ेगा। अब देखना है कि सीएजी रिपोर्ट के क्लियर होते ही कौन कौन से भ्रष्टाचार के जीन निकलते हैं।

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