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सरायकेला: राज्य में संचालित प्रशिक्षित पारा शिक्षकों का एक संगठन अवैध है। जिसमें फर्जी तरीके से बहाल पारा शिक्षकों के साथ ही कुछ ऐसे तत्व भी शामिल हैं जो राजनीतिक दलों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं. इनका उद्देश्य न केवल पारा शिक्षकों के लिए बन रहे बहुप्रतीक्षित सेवाशर्त नियमावली को बाधित करना है बल्कि एक षड्यंत्र के तहत यह संगठन सरकार के अच्छे कामों को बाधित कर सरकार को बदनाम करने में भी जुटे हुए हैं. उक्त बातें रविवार को एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के कुणाल दास ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहीं.

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श्री दास ने आगे कहा कि एक लंबी अवधि के बाद झारखण्ड की झामुमोनीत हेमंत सरकार प्रदेश के 65000 पारा शिक्षकों के कल्याणार्थ अच्छा क़दम उठाने जा रही है. जहां हेमंत सरकार के स्थानीयता के प्रति सकारात्मक सोच और सफल प्रयास से एक इतिहास बनने जा रहा है कि अठारह साल से हक के लिए संघर्षरत पारा शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित होने को है. ऐसे संवेदनशील समय पर फर्जी तौर पर महज़ 20-25 लोगों से बना प्रशिक्षित संघ एक षड्यंत्र के तहत इसे बाधित करने में जुट गया है. इस संघ में जितने भी पदधारी हैं सभी या तो अवैध रूप से नियुक्त पारा शिक्षक हैं या फिर उनका शैक्षणिक प्रमाण पत्र फर्जी है.

इसके अलावा इस संगठन को पोषित करने में विपक्षी राजनीतिक दलों के कुछ सक्रिय नेता भी शिद्दत से जुटे हैं। ताकि किसी भी तरह नियमावली पारित न हो और सरकार की बदनामी हो. किंतु एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा को पूर्ण विश्वास है कि नकारात्मक लोग अपने मंसूबे में कामयाब कभी नहीं होंगे. राज्य भर के तमाम 65000 पारा शिक्षक शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री पर आस्था रखते हैं कि तमाम नकारात्मक ताकतों को दरकिनार कर पारा शिक्षकों का कल्याण होने जा रहा है. साथ ही मोर्चा जल्द ही अवैध प्रशिक्षित संघ में बतौर पदधारी शामिल फर्जी रूप से नियुक्त पारा शिक्षकों का ब्यौरा आरटीआई के तहत निकाल कर सरकार से उन पर विभागीय कार्रवाई करते हुए उनकी बर्खास्तगी की मांग करेगी.

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