मानव जीवन के कल्याण के लिए भागवत कथा श्रवण अहम नर्मदा देवी…….
सरायकेला: सरायकेला प्रखंड के जगन्नाथपुर नुवाडीह स्थित गोकुल धाम में आयोजित भागवत गीता पाठ के 11 वें दिन कथा वाचक नर्मदा देवी ने श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराया। उन्होने कलियुग के प्रवेश पर जानकारी देते हुए कहा इस कलियुग के कलिकाल में कलुषित प्राणियों के कल्याण के लिए श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से बढ़कर कोई दूसरा कल्याण का मार्ग नही है।
यह समस्त शास्त्रों का सारांश है। इसलिए भगवत कथा का श्रवण करने से समस्त दुखों का नाश हो जाता है। उन्होंने कहा कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलयुग में चार राक्षस रहे हैं। सतयुग में हिरण्यकश्यपु,त्रेतायुग में रावण,द्वापरयुग में कंस और कलयुग में अहंकार मनुष्य का शत्रु है। इसलिए जो मनुष्य कलयुगी राक्षसों से बचकर भगवान का जप-तप, पाठ-पूजा व स्मरण करेगा वहीं भगवान के प्रति समर्पित हो सकता है। कलियुग में उद्धार पाने का आधार नाम है।
सतयुग, त्रेता, द्वापर में यह मुक्ति हवन, साधना, ध्यान, योग आदि विधियों से उद्धार संभव था। कलियुग में एकमात्र साधना नाम जपना ही उद्धार करा देता है। कथा में श्रीमद्भागवत कथा से कलयुग के प्रभाव को कम करने के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा किया। बताया आज मनुष्य अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहा है। उसके ऊपर कलयुग का प्रकोप छाया हुआ है। जहां श्रीमद्भागवत कथा का पाठ किया जाता है वहां कलयुग का प्रभाव कम हो जाता है। इसलिए नारद जी महाराज को चारों ऋषियो ने पृथ्वी पर कथा पाठ करने के लिए भेजा। जब नारद जी पृथ्वी पर आए तो उन्होंने देखा कि मानव जाति में ईश्वर में कम भक्ति है। जबकि पाप का बोलबाला है। व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है। वह अपने कर्मो का फल स्वंय भुगतता है। कलयुग में श्रीमद्दभागवत कथा, पूजा पाठ,ईश्वर की वंदना करने से शांति रहती है। भगावत गीता पाठ के दौरान भक्त श्रद्वालुओं ने झूमते हुए कथा का आनंद लिया। बसंत प्रधान के अगुवाई में आयोजित भागवत गीता पाठ के सफल आयोजन में दामोदर प्रधान,पंचानन महतो,शंभूनाथ प्रधान,विमल प्रधान,शेखर प्रधान,सहदेव सरदार,दिनेश प्रधान,विष्णु प्रधान,मुनु प्रधान व वशिष्ठ प्रधान समेत समस्त ग्रामीणों का सराहनीय योगदान रहा है।