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हमारी जड़ें गांवों से शुरू होती है इसे हमे जीवित रखना होगा – कलाकार सौरभ प्रामाणिक …

ग्रामीण परिवेश को जीवित रखने के लिए जागरूक कर रहे है चांडिल के कलाकार सौरभ …

चांडिल(परमेश्वर साव)

कहते है कलाकार का मन बच्चों जैसे कोमल और भावुक होता है । जो आंखों से देखता है वह हूबहू उतार कर लोगों को जागरूक करने का प्रयास करता है । एक ऐसा ही कलाकार जो सरायकेला खरसावां जिले के चांडिल प्रखण्ड के चैनपुर गांव निवासी युवा कलाकार सौरभ प्रामाणिक उम्र 20 वर्ष ने ग्रामीण परिवेश को जीवित रखने का काम कर रहा है। ग्रामीण परिवेश के कई बुजुर्ग आदमी और अलगण्अलग ग्रामीण क्षेत्र में जाकर लाइव पेंटिंग बनाने का काम करते हैं। इस दौरान कलाकार सौरभ प्रमाणिक जलरंग के माध्यम से किसी भी व्यक्ति का चित्र हूबहू उकेरते है। जिसे देखकर लोग दंग रह जाते हैं। वहीं लोग उनके कलाकारी की सराहना करते हुए उज्वल भविष्य के लिए ह्रदय से आशिर्वाद भी देते हैं।

कलाकार सौरभ प्रामाणिक बताते है की हमारी जड़ें गांवों से ही शुरू होती इसे हमे जीवित रखना चाहिए। कलाकार सौरभ अपनी कल्पना के साथ समाजिक समस्या को भी समय -समय पर उजागर करते रहते है। कलाकार सौरभ प्रामाणिक जमशेदपुर स्थित टैगोर स्कूल ऑफ आर्ट्स में फाइन आर्ट्स में 6 साल का डिप्लोमा कर चुके है और अभी फिलहाल आदित्यपुर में स्थित श्रीनाथ विश्वविद्यालय में बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स की पढ़ाई कर रहे है। उन्होंने अबतक कई चित्र बना कर सामाज के लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है जैसे समाज में हो रही परेशानी, ज्वलंत मुद्दों से लेकर कई ग्रामीण पर्व जैसे – करम परबए सोहराई, जितवा पर्व और टुसू आदि जैसे पर्वों को अपने कला के माध्यम से उकेरने का प्रयास किया है।

जिला प्रसाशन को ऐसे कलाकारों को राजकीय धरोहर मान कर प्रोत्साहित करना चाहिए । ताकि ग्रामीण कलाकारों को भी समाज को परिर्वतन और जागरूक करने में जिला प्रसाशन के कदम से कदम मिला कर गांव से शहर तक पहुंच सके ।

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