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संयुक्त ग्रामसभा मंच 24 दिसम्बर को मनायेगा पेसा दिवस,

झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के तहत मेसा कानून का

मंच करेगा विरोध, सरकार को घेरने की तैयारी….

बिना संसद में पारित मेसा कानून को लागू कर राज्य के 49 नए नगर निगम, नगर पंचायत का गठन कर सरकार चुनाव करवा रही है । पेसा के नियमावली को ताक पर रखकर सरकार पंचायत राज्य व्यवस्था को चलाया जा रहा है।….

 

चाण्डिल (कल्याण पात्रा) : संयुक्त ग्रामसभा मंच, झारखंड के बैनर तले 24 दिसम्बर को आयोजित पेसा दिवस मनाने और झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के तहत नगरपालिका का गठन के विरोध को लेकर संवाददाता सम्मेलन का आयोजन कान्दरबेड़ा जगजीत हॉटोल में किया गया । उक्त 24 दिसम्बर को संयुक्त ग्रामसभा के द्वारा पेंसा दिवस मनाने के लिए कमिटि का निर्माण किया गया । वही पेसा कानून के साथ छेड़छाड़ कर अनूसूचित क्षेत्र में चुवान कराना असंवैधानिक बताते हुये 24 दिसम्बर को संयुक्त ग्रामसभा मंच के वैनर तले सरकार को घेरने की तैयारी में जुट गयी है ।

वही मंच के पदाधिकारियों का कहना है कि झारखंड में तीन टर्म की पंचायती राज के पूरा होने के बावजूद राज्य में अबतक पेशा कानून की नियमावली नहीं बनना तथा शिड्यूल एरिया में नयी-नयी नगर पंचायतें , नगर निगम का गठन कर चुनाव कराने की कवायदें की जा रहा है । ऐसे में आदिवासी स्वशासन व्यवस्था को ध्वस्त करने की सरकार की सोची समझी साजिश बता रहे है । झारखंड राज्य में जल, जंगल, जमीन और झारखंडी पहचान की लड़ाई को कमजोर किया जा रहा है। झारखंड राज्य के नव निर्माण का सपना धराशाही हो गई है और परिणाम स्वरूप झारखंडी कंगाल और गुलामी का शिकार हो चुके हैं।

वही मंच ने बताया कि विकास के नाम पर झारखंड के जल, जंगल, जमीन की लूट चारों तरफ मची हुई है। झारखंड में औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के आड़ में बाहरी अबादी को पांचवीं अनुसूची वाले जिलों में डम्पिंग करने की नीति चल रही है।

वही मंच ने बताया की झारखंड के अनुसूचित जिलों में केन्द्र सरकार पेसा कानून के सामान्तर कानून मेसा को बनाकर झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के तहत नगरपालिका का गठन एवं चुनाव कराये जा रहे हैं जो कि असंवैधानिक एवं संविधान के प्रावधानों का खुल्लम -खुल्ला उल्लंघन किया जा रहा है

संविधान की पांचवीं अनुसूची पंचायती राज अधिनियम और नगरपालिका अधिनियम से अलग कानूनों को आदिवासी बहुल क्षेत्रों और कस्बों के प्रशासन के लिए अनिवार्य करती है। संसद ने जनजातीय क्षेत्रों के लिए पंचायत विस्तार अनुसूचित क्षेत्र (पेसा) अधिनियम 1996 में अधिनियमित किया लेकिन अबतक अनुसूचित क्षेत्रों के शहरी म्यूनिसिपल इलाकों के लिए श्मेसाश् को संसद से पारित नहीं किया गया है जबकि भूरिया कमिटी ने इस पर गंभीरता से पहले करने की अनुशंसा की है।

मौके पर झारखंड आंदोलनकारी डेमका सोय, संयुक्त ग्राम सभा मंच के संयोजक अनूप महतो, संयुक्त ग्राम सभा मंच के संयोजक सुकलाल पहाड़िया, गुरुचरण सिंह सरदार, सत्यनारायण मुर्मू, विष्णु पोदो गोप आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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