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समिति ने पांच बालक-बालिकाओं को कि अभिभावकों के हवाले, शपथ पत्र लेकर किशोर व किशोरी को सीडब्ल्यूसी ने भेजा घर,रसिकपुर की किशोरी व उसके भाई को दादा-दादी को सौंपा,

संवाददाता:- मौसम कुमार गुप्ता, दुमका (झारखंड)

दुमका। जिले के जरमुण्डी थाना क्षेत्र की नाबालिग किशोरी से सरैयाहाट के नाबालिग किशोर का बाल विवाह करवाये जाने के मामले में बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने दोनों के अभिभावकों से शपथ पत्र लेकर किशोर व किशोरी को उनके अभिभावकांें को सौंप दिया है। बाल श्रम निषेध दिवस के दिन सोनुआडंगाल संताल टोला में एक प्रोफेसर के घर से रेस्क्यू की गयी किशोरी को भी उसके माता-पिता को सौंप दिया गया है। पिता द्वारा मारपीट किये जाने से गंभीर रूप से घायल हुई शहर के रसिकपुर इलाके की किशोरी और उसके भाई को उसके दादा-दादी को फिट पर्सन घोषित करते हुए सौंप दिया गया है।

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ये पांचों किशोरी, किशोर व बालक समिति के आदेश पर बालगृहों में आवासित थे। बुधवार को अभिभावकों के समिति के समक्ष उपस्थित होने पर एक किशोर, तीन किशोरी व एक बालक को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। चेयरपर्सन डा अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डा राज कुमार उपाध्याय, कुमारी बिजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने इन मामलों की सुनवायी की। जरमुण्डी की किशोरी और सरैयाहाट के किशोर के पिता ने समिति के समक्ष क्रमशः 18 एवं 21 वर्ष की आयु होने पर ही उनका विवाह करने का शपथ पत्र दिया।

चारों का बयान दर्ज करने के बाद वचनबंध लेकर दोनों को उनके पिता को सौंप दिया गया। रसिकपुर की किशोरी व उसके भाई के दादा-दादी ने समिति को बयान दिया कि वह दोनों की देखरेख और संरक्षण खुद करेंगे। दोनों को उनके पिता के घर नहीं भेजेंगे बल्कि अपने पास रखेंगे। 17 वर्षीय किशोरी व उसके 8 वर्षीय भाई को दादा-दादी के साथ घर भेज दिया गया। बाल श्रम के खिलाफ चलाये गये अभियान में 12 जून को रेस्क्यू की गयी किशोरी ने अपने माता-पिता के घर जाने से इनकार कर दिया था।

मूल रूप से काठीकुण्ड की रहनेवाली किशोरी ने 12 जून को दिये अपने बयान में बताया था कि कालेज के प्रोफसेर उसे पढ़ाने के नाम पर उसके घर से ले आये थे। उसका कड़हलबिल स्कूल में नामांकन तो करवा दिया गया था पर उसे स्कूल नहीं भेजा जाता था। वह प्रोफेसर के घर में झाड़ु-पोंछा, कपड़ा, बर्तन धोने का काम करती थी। उसे सही समय पर खाना-पीना भी नहीं दिया जाता था।

समिति द्वारा उसका बालगृह की काउनसेलर के अलावा संप्रेक्षण गृह के काउनसेलर से भी काउनसेलिंग करवाया गया। अंततः किशोरी अपने माता-पिता के साथ घर जाने के लिए तैयार हो गयी। किशोरी एवं उसके माता-पिता का बयान लिया गया और उसे भी घर भेज दिया गया।

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