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घाटशिला/मुसाबनी : घाटशिला में नेताजी सुभाष चन्द्र जयंती मनाया गया कहीं उदासी छाया रहा

रिपोर्ट : दीपक नाग / संजय दास

देश के आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का 146 जयंती कांग्रेस के स्थानीय नेता तापस चटर्जी के नेतृत्व में कांग्रेसी जन उनके भव्य तरीके से मनाया गया । उपस्थित महिला-पुरूषों ने बारी-बारी से माला पहनाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस अवसर पर, तापस चटर्जी, राज किशोर सिंह, फारूक, पांवड़ा पंचायत की मुखिया पार्वती मुर्मू के अलावे अनेक महिला-पुरुष उपस्थित थें ।

इसी स्थान में, स्थानीय भाजपा के नेता राहुल कुमार पाण्डेय के नेतृत्व में भाजपाईयों ने भी आज सबेरे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के प्रतिमा में माल्यार्पण किया और श्रद्धा सुमन अर्पित किया । इस मौके पर राहुल कुमार पाण्डेय, विजय पाण्डेय , सुभाष बनर्जी के अलावा अन्य भाजपाई उपस्थित थें ।

वैसे तो हमारे भारत देश की माटी अनेक वीर रत्नों को जन्म दिया है । आज से 146 साल पहले आज ही के दिन 1879 को ऐसा ही एक वीर सपूत को उड़िसा के कटक में एक बंगाली परिवार में जन्म दी थी, वह था सुभाष चन्द्र बोस ! भारत देश मे ‘नेताजी‘ के नाम से एक ही शख्स को जाना जाता है, यह सम्मान किसी और को प्राप्त नही हुआ । जिन्हें युग-युगांतर तक नेताजी के नाम से जाना जाता रहेगा। नेताजी कहने पर पुरा विश्व सिर्फ एक ही शख्सियत को जानतें है ।

गौर करें तो आज तेईस जनवरी हम भारतीयों के लिए कैलंडर का केवल एक तारीख मात्र नहीं है। इस दिन मां भारती के माटी में एक मात्री भक्त, शासक, साहसी और देश भक्त का जन्म हुआ। अंग्रेजी सरकार की रूह कांप जाती थी नेताजी के नाम सुनते ही । अंग्रेजी सरकार के नाक में दम करने वाले नेताजी सुभाष कभी अंग्रेजी सरकार का हाथ न लगा । प्रत्येक भारतीय के लिए आज की तारीख गौरवशाली दिन है ।

वहीं नेताजी सुभाष जयंती का कुछ और ही दृश्य मुसाबनी के जयपाल सिंह मुंडा चौक में देखी जा सकती है । वैसे तो आधिकारिक रूप से जानकारी नहीं है फिर भी चर्चा है कि, लग-भग पंद्रह लाख रूपए के लागत से, वर्ष 2022 में जयपाल सिंह मुंडा चौक के करीब नेताजी सुभाष पार्क निर्माण का कार्य आरंभ किया गया था । वैसे इस निर्माण योजना कार्य राशि पांच लाख का है ? पंद्रह लाख का है ? या बीस लाख का है यह तो वही बता सकता है जिसने इस निर्माण कार्य को पुरा करने की जिम्मेदारी ली है। जानकारों का कहना है कि, आज तक यह कार्य आधा-अधूरा पड़ा हुआ है । आश्चर्य की बात है कि, जब इसका निर्माण कार्य आरंभ किया गया तो नियमों के अनुसार वहां एक सूचना पट पहले लगना चाहिए थी ! जिस तरह शिलान्यास करने वाले का ब्योरा शिला पट में लिखी हुई है । ठीक उसी तरह निर्माण कार्य का सूचना पट भले ही साधारण खर्च में हो पर लगाया जाना अनिवार्य था । गौरतलब है कि, इस सूचना में किस मद से राशि आवंटित हुआ है ? किस योजना वर्ष का है ? किस विभाग के देखरेख में कार्य आरंभ हुई है ? अभिकर्ता कौन है ? वगैरह-वगैरह।

मुसाबनी के एक सामाजिक संगठन का पदाधिकारी बिरेन घोष ने, वानांचल के संवाददाता को बताया कि, नेताजी सुभाष बोस पार्क का निर्माण कार्य आज तक अधुरा पढ़ा हुआ है और न ही आज तक उद्घाटन हो पाया है । इसमें न तो कोई सौंदर्यीकरण का कार्य हुई है और न ही अन्य जरूरत का कार्य की गई है । बता दूं कि, वर्ष 2022 से लेकर आज तक शायद इन्हीं कारणों से पार्क के गेट में ताला लटक रहा है। किस चीज का है इंतजार? कौन करेगा इसका उद्धार?

सवाल यह है कि, आज तक मुसाबनी के किसी भी राजनीतिक दल के कहे जाने वाले नेताओं को इस विषय पर कोई आवाज उठाते धरातल में नहीं देखा गया।‌

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने अपने सब कुछ देश के लिए निछावर करते समय उन्हें यह भी मालूम नहीं रहा होगा कि, आजाद भारत का सुख और आनन्द वह कभी देख सकेंगे कि नहीं ?

जाहिर है, भले ही चौक चौराहे मे आलोचना नहीं करते होंगे पर संवेदनशील लोगों के दिलों में यह मामला नासुर आज तक बना हुआ होगा जरूर ।‌

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