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सरायकेला के जोरडीहा में ऐतिहासिक नुआखाई जंताल आज; जुटेंगे 25 गांव के लोग…

सरायकेला: संजय मिश्रा : देशी रियासत कालीन राजकीय नवान्न ग्रहण हेतु जंताल पूजा राजघराने के मुख्य देहुती के निवास ग्राम जोरडीहा गांव में ग्रामवासियों के सौजन्य से नायां के जरिए शुक्रवार 13 सितंबर को आयोजन किया जायेगा। इस वर्ष पूजा मे मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह स्थानीय विधायक चंपई सोरेन शामिल होंगे जिन्हें ग्रामीणो ने आमंत्रित किया है। जानकारी हो कि यह पूजा समुचे उत्कलीय देशी रियासतों में होती है। जिसे “देश जंताल नुआखाई” के नाम से जानती है।

कभी सरायकेला ओडिशा का अभिन्न अंग रहा इसके बावजूद भी झारखंड सरकार का इन पूजाओं के प्रति समर्पित भाव न होना बड़ी खेद की बात है। जिसके कारण स्थानीय लोग अपने स्तर से ही जंताल पूजा करते आ रहे है।

जोरडीहा के ग्रामीणों ने अपने अधिनस्थ तमाम 25 गांव के लोगों को नाया पूजारी देवरी लेढा सरदार के जरिये आमंत्रित कराया है। जिसने नुआगांव, कृष्णपुर, सिदाडीह, भंडारीसाही, तितिरबिला, वैष्टमसाही, गांगीडीह, झालियापोसी, कटंगा, सिजूडीह, मुडकुम, धरमडीहा, रूडा़साई, कझमडीहा, लुपूगं, कालागूजू, कालापाथर, लखीपुर, धोलाडीह, दिघी, छोटादावना, बागानसाई व छोटा बाना के प्रत्येक परिवार से लोग इस अवसर पर पाऊडी स्थल में एकत्रित होंगे। पश्चिम ओडिशा में ऐसी जंताल जैसा पर्व को नुआखाई के नाम से जाना जाता जो रथयात्रा के बाद ओडिशा का तीसरा बड़ा सामाजिक धार्मिक उत्सव है।

यह राजकीय रैयत धारकों का मुल्य स्थानीय परिवेश में पूजा है। प्रतिवर्ष के बाद 12 वर्षों में देश जंताल होता है, जो मां पाउडी देवी को समर्पित होता है। आश्चर्य की बात यह है कि नुआखाई में प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री ओडिशा तक ओडिशा के लोगों को बधाई देते पर आजादी के बाद केन्द्र का स्पष्ट आदेश होने के बाबजूद राज्य सरकार का प्रशासन इस दिशा में अनभिज्ञ बने रहना घोर जन उपेक्षा है। इसी जोरहीहा पंचायत के भंडारीसाही (आयुध शस्त्रागार) गांव निवासी सिंहभूम के भाषा संस्कृति जानकार व संरक्षक कार्तिक कुमार परिच्छा ने सरकार की इस उपेक्षा पूर्ण रवैया पर तीव्र दुःख प्रकट किया है।

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