पहाड़ी नाले के दूषित जल पीने में मजबूर बांझीआम गांव के लोग…
इन ग्रामीणों का सुध लेने के कोई नही, स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक है चुप…
काठीकुंड:झंटु पाल
काठीकुंड: जल ही जीवन है, ये तो सभी ने हमेशा से सुना ही है लेकिन दुमका जिले के काठीकुंड प्रखंड में एक ऐसा गांव है जो आज भी पानी के लिए संघर्ष कर रहा है, और वर्षों से दूषित पानी पीने को मजबूर है। सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो ये है कि गांव वाले जिस पहाड़ी नाले का पानी पीते हैं, उसी में मवेशी और जंगली जानवर भी अपनी प्यास बुझाते है। प्रशासन लाख दावे क्यों न कर ले पर इस गांव की ये तस्वीर सारी हकीकत बयां करती है।
दुमका जिले के काठीकुंड प्रखंड के बड़ाचापुड़िया पंचायत अन्तर्गत बांझिआम गांव में 30 घरों की कुल आबादी 118 है। इनके पास पानी के लिए एक मात्र सहारा दूर स्थित पहाड़ी नाला ही है। दुमका जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर घने जंगलो में बसे बांझिआम के ग्रामीणों की जिंदगी दांव पर है। पूरे गांव में स्वच्छ पानी का कोई इंतजाम नहीं, स्थानीय निवासियों को पहाड़ी नाले का दूषित पानी पीकर अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है।
यह स्थिति आज की नही स्थानीय ग्रामीणों की माने तो जब से वह होस सम्भाले है, तब से यही पानी पीकर जवान हुए है। पहाड़िया समुदाय बाहुल्य गांव शासन प्रशासन के उन दावों को मुंह चिढ़ाता है, जिसमें ग्रामीणों को स्वच्छ पानी मुहैया कराने की बात कही जाती है। इस गांव में पानी की खोज की गई पर पानी नही मिला। ग्रामीणों ने बताया की पांच वर्ष पूर्व पानी की सोलर टंकी दिया गया था परन्तु बनने बाद से ही देखने की शोभा बना हुआ है गांव में एक कुंआ भी है परंतु जल नहीं मौजूद है। 118 की आबादी वाले इस गांव में पानी की समस्या सदैव रहती है, इसके बावजूद अभी तक प्रशासन का नुमाइंदा यहां खैर खबर लेने के लिए नहीं पहुंचा है।
दुमका जिले के तराई के बीहड़ मे जंगलो के बीचोबीच गांव बांझिआं जिला प्रशासन की योजनाओं की हकीकत की पोल खोल कर रख दी है, यहा के लोग पानी के लिए जिला प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे है। ग्रामीणों ने बताया की समस्या को लेकर मुखिया सहित अन्य प्रखण्ड आधिकारी को भी कई बार आगवत कराए , किंतु वही स्थानीय जनप्रतिनिधि सहित अधिकारी ग्रामीणों को शुद्ध पानी पहुंचने की बात कर आपना पल्ला झाड़ने में कमी भी नही कर रहे है।