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चिंतन: गिद्ध के बाद अब नीलकंठ पक्षी का दर्शन भी हुआ दुर्लभ।

विजयादशमी पर गूगल और सोशल मीडिया पर लोग एक दूसरे को कराते रहें नीलकंठ पक्षी के दर्शन…

सरायकेला : संजय मिश्रा ।

विकास के अंधाधुंध दौड़ में मानव अपनी लालसा और लोलुपता के लिए कई नैसर्गिक वस्तुओं को तेजी से पीछे छोड़ता जा रहा है। उसी कड़ी में एक नाम शुभता देने वाली नीलकंठ पक्षी का है। जिसका दर्शन विजयादशमी के अवसर पर शुभता का प्रतीक माना जाता है। परंतु विजयादशमी के अवसर पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन लोगों के लिए दुर्लभ रहे। इसी बीच सोशल मीडिया वाला ट्रेंड एक बार फिर से पूरी तरह जोश में दिखा। जहां लोग एक दूसरे को विजयादशमी की बधाई देते हुए व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन कराते हुए देखे गए। जिसका तात्पर्य भी बताया गया कि नीलकंठ पक्षी भी अब लुप्त प्राय दुर्लभ हो चला है।

पौराणिक महत्व वाले नीलकंठ पक्षी अब लोगों के जेहन से होते हुए किताबों की तस्वीरें एवं सोशल मीडिया तक सिमटने लगा है। बताया जा रहा है कि अभी भी समय है जब नीलकंठ जैसे पौराणिक महत्त्व के पक्षी के अनुकूल वातावरण तैयार कर उन्हें उन्मुक्त जीवन जीने का अवसर दिया जाए। अन्यथा आने वाली पीढ़ी के लिए शुभता का प्रतीक सुंदर नीलकंठ पक्षी किताबों के पन्नों तक सिमट कर रह जाएगा।

एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन फोरम के प्रमुख पर्यावरणविद सुबोध शरण बताते हैं कि लगातार पेड़ पौधों के कटने से पक्षी अपने नैसर्गिक आवास खोते जा रहे हैं। भारी संख्या में वाहनों के परिचालन और अनियमित रूप से उद्योगों की स्थापना पर्यावरण में विष घोलने का काम कर रही है। जिसका कारण है कि पौराणिक महत्व रखने वाला पर्यावरण का सुंदर पक्षी नीलकंठ रेयर ऑफ रेयरेस्ट हो चला है। उन्होंने कहा कि आज विजयादशमी जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन के आतुर लोगों को नीलकंठ पक्षी के अनुकूल एक श्रेष्ठ पर्यावरण तैयार करने के लिए चिंतन के साथ प्रयास करना होगा।

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