पटना : बिहार में बाबाओं का बहार, किसका माहौल करेंगे खराब
संजय कुमार विनीत
(वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक)
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी के बिहार दौरे के बाद से ही राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई थी, अब हिंदू धार्मिक बाबाओं के प्रदेश में आगमन और कथा वाचन से धार्मिक सरगर्मी भी तेज हो गयी है। बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री अपने हिंदू राष्ट्र के एजेंडे के साथ बिहार पहुंचे हैं। साथ ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और आर्ट ऑफ लिविंग के श्रीश्री रविशंकर भी राज्य में मौजूद रहकर अपने कार्यक्रमों में लगे हुए हैं। विपक्षी पार्टियों ने विरोध कर इन धार्मिक आयोजनों पर राजनीति से प्रेरित होने के आरोप लगाकर समाजिक समरसता बिगड़ने की बात कह सवाल पैदा कर दिया है कि आखिरकार बिहार में बाबाओं के बहार से चुनाव में किसके पक्ष का माहौल खराब होगा।
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बिहार के गोपालगंज में हनुमंत कथा को लेकर अपना डेरा जमा रखा है तो आर्ट ऑफ लिंविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर शुक्रवार को बिहार दौरे पर पहुंचे हुए हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत बिहार के पांच दिन के दौर पर पहले से ही हैं। चुनावी तपिश के बीच धार्मिक गुरुओं के बिहार दौरे के अब मायने तलाशे जाने लगे हैं तो वहीं सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर ये किसके लिए सियासी जमीन तैयार करेंगे और किसका माहौल खराब करेंगे।
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री अपने हिंदू राष्ट्र के एजेंडे के साथ बिहार पहुंचे हैं। हिन्दूओं के अस्तित्व और सुरक्षा को लेकर कहते हैं कि वे यहां अपने लिए थोड़े आए हैं, वे इस देश के हिन्दुओं को जगाने आए हैं। वे अपनी लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं बल्कि दुनिया के 150 करोड़ हिन्दुओं की लड़ाई लड़ने आए हैं। बाबा बागेश्वर के कथा में भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुट रही है। इस दौरान धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपने विरोध के जबाब में कहा कि उनके बिहार में आने से बहुत लोगों के पेट में दर्द हो रहा है, वह किसी पार्टी के विचारक नहीं है, बल्कि वह हिंदुत्व के विचारक हैं। बाबा बागेश्वर का बिहार में कई जगहों पर हनुमंत कथा के कार्यक्रम है। और बाबा बागेश्वर स्पष्टत कह चुके हैं कि उनका विरोध किया जायेगा तो वे बिहार में ही घर बनाकर रहने लगेंगे।
बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री के साथ ही आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर बिहार दौरे पर पहुंचे हैं। रविशंकर राज्य के दौरे पर रहेंगे और इस दौरान औरंगाबाद, भागलपुर और पटना में उनके भव्य सतसंग के कार्यक्रम के आयोजन हो रहे हैं। श्री श्री रविशंकर 1000 साल पुराने पवित्र शिवलिंग को लेकर बिहार पहुंचे हैं, जिसको महमूद गजनवी ने 1026 ईस्वी में खंडित किया था। सदियों से एक अग्निहोत्री परिवार इस शिवलिंग को सुरक्षित रखे हुए था, अब इसे सार्वजनिक दर्शन के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। काफी संख्या में सनातनियों की भीड़ जुट रही है और इस इतिहासिक शिवलिंग का दर्शन कर रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत भी बिहार दौरे पर हैं।
संघ प्रमुख ने कहा कि जब भी मैं बिहार आता हूं, तो मुझे कई जगहों पर जाने का मन होता है, लेकिन समय की कमी के कारण मैं ऐसा कभी नहीं कर पाता। भागवत ने बिहार के गया जिले के चर्चित रहे दशरथ मांझी का उदाहरण देकर राज्य के लोगों की भी प्रशंसा की और कहा कि बिहारवासी समर्पण, कड़ी मेहनत और पुरुषार्थ के प्रतीक हैं। मोहन भागवत बिहार में संघ के स्वयंसेवकों और बीजेपी के नेताओं से मंत्रणा कर रहे हैं।
बिहार में कितनी भी विकास की बात की जाये पर अंततः चुनाव में लोग जाति के ही इर्दगिर्द घुमते हैं। एनडीए हो या इंडी गठबंधन सब जाति के ही बिसात पर ही चुनाव की तैयारियां करती है। बीजेपी इन्ही जातिय ताना बाना के कारण अकेले दम पर सरकार नहीं बना पाती है। इस बार एनडीए चुनावी जंग जीतने के लिए हिंदूओं के वोट ना बंटे, इसलिए बाबाओं के सहयोग से प्रयोग किया जा रहा हो। क्योंकि इन धार्मिक गुरूओं के बीजेपी के संबंध जगजाहिर है।
यूँ तो, बिहार में चुनाव विकास पर लडी जाये, सत्ता पक्ष एनडीए की कोशिश जरूर होगी। पर इंडी गठबंधन के जातीय जनगणना को लेकर जाति कार्ड खेला जाना तय माना जा रहा है। एनडीए भी इसके काट के लिए हिंदू वोट ना बंटे , इसकी कोशिश जरूर करती नजर आयेगी। बाबाओं का बिहार दौरा इसी रूप में एक प्रयोग के रूप में देखा जा रहा है।
विपक्षी पार्टियां भी खुलकर विरोध नहीं कर पा रही। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव तो बाबाओं के इस दौरे पर कहा है कि यह देश बाबा साहब के अंबेडकर के संविधान से चल रहा है और यहां किसी को भी कहीं आने-जाने की आजादी है। इससे हमें कोई मतलब नहीं।लेकिन, दूसरी ओर राजद के विधायक मुकेश रौशन ने बाबा बागेश्वर की गिरफ्तारी की मांग कर दी। वहीं भाई वीरेंद्र ने भी इसे भाजपा की साजिश बताया है, जबकि राजद के कई अन्य विधायक और नेता हिंदुत्व के इन प्रतीकों के दौरों को टारगेट पर ले रहे हैं। बड़े नेता इस मुद्दे पर सधे शब्दों में व्यान बाजी कर रहे हैं, क्योंकि हिंदू वोटर्स कहीं नाराज ना हो जाये।
जाति आधारित राजनीति के लिए जाने वाले बिहार में अब धर्म की राजनीति नया समीकरण बना सकती है या नहीं, अब यह बड़ा सवाल बन गया है। बीजेपी और विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाओं से इस दौरे के राजनीतिक मायने निकाले जा सकते हैं। बाबा बागेश्वर, श्री श्री रविशंकर की कथा और प्रवचनों से बिहार की सियासत में नया मोड़ आएगा या यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन तक सीमित रहेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।