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भाकपा माले रामगढ़ जिला कमिटी की हुई बैठक, मजदूरों की समस्या पर हुई चर्चा । प्रवासी मजदूरों पर जानलेवा खबरों पर की विस्तृत चर्चा ।

भाकपा माले ने कहा कि भाजपा के द्वारा झूठे, फर्जी खबरों, अफवाहों को फैलाना बंद करे ।

रामगढ़ (इन्द्रजीत कुमार )   जिले के भाकपा माले कमेटी की बैठक कार्यालय रामगढ़ में संपन्न हुई। बैठक में भाकपा माले जिला सचिव भुनेश्वर बेदिया, देवकीनंदन बेदिया,हीरा गोप, जयनंदन गोप,अमल कुमार,बीगेन्द्र ठाकुर,करमा मांझी, महादेव मांझी,लाली बेदिया, देवानंद गोप,सरयू बेदिया, हीरालाल महतो शामिल हुए। बैठक के दौरान तामिलनाडु प्रदेश में प्रवासी मजदूरों पर हमला किया गया। भाकपा माले ने कहा कि भाजपा के द्वारा झूठे, फर्जी खबरों, अफवाहों औंर मजदूरों विरोधी नीति का विरोध किया गया। बैठक के दौरान अहम चर्चा हुई। उक्त चर्चा में भाकपा माले ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा, गरिमा औंर जीवनयापन लायक मजदूरी के लिए केन्द्रीय कानून नीति बनाने,मनरेगा को मजबूत करने ताकि स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ें मांग की गई।

विगत हफ्ते में सोशल मीडिया में बिहार प्रदेश औंर उत्तर भारतीय प्रदेशों के मजदूरों पर तमिलनाड़ू प्रदेश में हमले की फर्जी खबरों की बाढ़ जैसी आ गई।  होली के दौरान अपने घरों के लौटते प्रवासी मजदूरों के बारे में प्रचारित कर दी गई कि वे हमले की वजह से तमिलनाड़ू प्रदेश छोड़ कर जा रहे हैं। उक्त फर्जी खबर को विभिन्न मीडिया चैनलों औंर अखबारों ने उठा लिया गया। बिना सत्यता जांचे प्रसारित भी कर दिया गया। उदाहरण के तौर पर देखें तो एक दैनिक अखबार ने खबर प्रकाशित हुई। दैनिक अखबार में प्रकाशित के अनुसार 15 बिहारी प्रवासी मजदूर तमिलनाड़ू प्रदेश में मारे गए हैं। बिहारी प्रवासियों को तालिबानी शैली के हमलों का सामना करना पड़ रहा हैं।

भाकपा माले ने कहा कि हम मांग करते हैं कि जो जानबूझ कर प्रवासी मजदूरों पर हमले के फर्जी वीडियो पोस्ट कर रहे हैं।प्रवासी मजदूरों में भय औंर तनाव फैला रहे हैं। जनता में भाषावाद कलंह औंर बंटवारावाद पैदा कर रहे हैं। उनके विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही की जाए। हम संघ परिवार की इस पतित हरकत की घोर निंदा करते हैं। जो तमिलनाडू प्रदेश लोगों के खिलाफ घृणा के बीज बोकर राजनीतिक लाभ अर्जित करने की मंशा रखते हैं।

कोविड-19 संकट के दौरान मज़दूरों को वह क्रूर लॉकडाउन भुगतना पड़ा। जिसमें भारी संख्या में मज़दूरों औंर उनके परिवारों को घर पहुंचने के लिए सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। संघ ब्रिगेड एक बार फिर प्रवासी मज़दूरों को अपने राजनीतिक षड्यंत्र के औज़ार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता हैं। पुरे भारत देश के मजदूर वर्ग पर मोदी सरकार की नव उदारवादी द आर्थिक नीतियां कहर बरपा रही हैं। भयानक सूखा / बाढ़, निरंतर जारी कृषि संकट और सिमटते काम के अवसरों के कारण ग्रामीण तमिलनाडू प्रदेश भयानक रोजगार का संकट झेल रहा हैं। यहां से बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों को पलायन ही रहा हैं। महिलाएं औंर बुजुर्ग रोजगार विहीन हैं। भाकपा माले ने कहा कि ऐसी स्थिति में मनरेगा ही रोजगार का एकमात्र स्रोत हैं। जब से मोदी सरकार सत्ता में आई हैं।

उक्त योजना को ही बर्बाद कर दिया गया। मनरेगा के बजट में 33 प्रतिशत तक कटौती कर दी गई। जिसकी वजह से रोजगार की मांग करने के बावजूद करोड़ों मजदूरों को काम नहीं मिल रहा हैं। काम पूरा होने के बावजूद समय पर मजदूरों को मजदूरी न देकर मनरेगा के उद्देश्य को सचेत रूप से पलीता लगाया जा रहा हैं। मनरेगा में केवल भुखमरी भत्ता देकर मोदी सरकार लोगों को समुचित रोजगार से वंचित कर रही हैं। दूसरी तरफ शहरों में अनौपचारिक श्रम, एक दिन में 12 घंटे तक का काम, मजदूरी से सहित कोई साप्ताहिक अवकाश नहीं, पीएफ़/ईएसआई नहीं, नारकीय जीवन स्थितियां, निरंतर मजदूरी की लूट, श्रम क़ानूनों की कोई सुरक्षा नहीं- जैसी अनिश्चितता से गुजर रहे प्रवासी मज़दूरों के मसलों को हल करने के बजाय मोदी सरकार उन्हें अपने घृणित राजनीतिक खेल के चारे के तौर पर उपयोग करना चाहती हैं। अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) तथा एक्टू देश के मज़दूरों का आह्वान करते हैं कि इस नस्लीय घृणा और फूट डालने के षड्यंत्र को खारिज करें। हम मांग करते हैं कि प्रवासी मज़दूरों की सुरक्षा, गरिमा और जीवनयापन लायक मजदूरी के लिए केंद्रीय कानून बनाया जाये. राज्यों को भी अपने राज्यों के प्रवासी मज़दूरों को सुरक्षा की योजनाएं बनानी चाहिए।

काम के दिनों को साल में 200 करके मनरेगा को मजबूत किया जाये ; मनरेगा में मजदूरी को बढ़ा कर 600 रुपये प्रति दिन किया जाए। मनरेगा के तहत लंबित मजदूरी तत्काल बांटी जाए। गांव में ही रोजगार सुनिश्चित करने,शहरी रोजगार गारंटी कानून बनाने, अ.भा.खे.ग्रा.म.स.एक्टू अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर संगठन ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स के तेल सभी प्रखंडों में व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्णय लिया गया।

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