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सामाजिक कुरीति निवारण योजना अंतर्गत एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन, डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2001 के प्रति किया गया ग्रामीणों को जागरूक …

सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना सहित अन्य योजनाओं की दी गई ग्रामीणों को जानकारी…

रामगढ़ ब्यूरो: इन्द्रजीत कुमार

सामाजिक कुरीति निवारण योजना के तहत रामगढ़ जिले के अंतर्गत गोला प्रखंड के पंचायत भवन, मगनपुर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान कार्यशाला में उपस्थित ग्रामीणों व अन्य को सामाजिक कुरीतियों जैसे डायन प्रथा एवं इसके रोकथाम हेतु डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2001 के संबंध में विस्तार से जानकारी देने के क्रम में उन्हें जागरूक किया गया। वही कार्यशाला के दौरान ग्रामीणों को सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना के तहत बच्चियों को मिलने वाले लाभ, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना सहित अन्य योजनाओं की जानकारी देने के क्रम में ग्रामीणों को योजनाओं का लाभ लेने हेतु प्रेरित किया गया।

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क्या हैं डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2001 :

डायन की पहचान यदि कोई भी व्यक्ति – जो किसी अन्य व्यक्ति को डायन‌ के रूप में पहचान करता हो और उस पहचान के प्रति अपने किसी भी कार्य, शब्द या रीति से कोई कारवाई करे, तो इसके लिए उसे अधिकतम् तीन महीने तक कारावास की सजा अथवा एक हजार रुपये जुर्माने की सजा अथवा दोनों से दंडित किया जायेगा। प्रताड़ित करने का हर्जाना-यदि कोई भी व्यक्ति जो किसी औरत को डायन के रूप में पहचान कर उसे शारीरिक या मानसिक यातना जानबूझ कर या अन्यथा प्रताड़ित करता है, तो उसे छः माह की अवधि के लिए कारावास या सजा अथवा दो हजार रूपये तक जुर्माने अथवा दोनों सजा से दंडित किया जायेगा।

डायन की पहचान में दुष्प्रेरण – ऐसे किसी भी व्यक्ति को जो किसी औरत को ‘डायन’ के रूप में पहचान करने के लिए साशय या अनवधानता से अन्य व्यक्ति को या समाज के लोगों को उकसाता हो, षडयंत्र रचता हो या उन्हें सहायता देता हो, जिससे उस औरत को हानि पहुँचे, तो तीन महीने तक का कारावास अथवा एक हजार रूपये के जुर्माने अथवा दोनों सजा से दंडित किया जायेगा ।

डायन का उपचार- किसी भी डायन के रूप में पहचान की गई औरत को जो भी शारीरिक या मानसिक हानि या यातना पहुँचाकर अथवा प्रताड़ित कर ‘झाड़फुंक’ या फिर ‘टोटका’ द्वारा उराके उपचार के लिए कोई कार्य करता है, तो उसे एक साल की कारावास का सजा अथवा दो हजार रूपये तक के जुर्माने अथवा दोनों सजा से दंडित किया जायेगा। विचारण की प्रक्रिया-इस अधिनियम के सभी अपराध संज्ञेय एवं गैर जमानती होंगे।

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