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नये गठबंधन से झारखंड का राजनैतिक का तापमान जरूर बढ़ता दिख रहा है भविष्य क्या होगा ?

राजनीतिक प्रयोगशाला की धरती मानी जाने वाली झारखंड की

धरा पर एक और नया प्रयोग….. झालमो

       (देश में विकासात्मक राजनीति के बढ़ रहे जोर का झारखंड में भी असर)

सरायकेला। राजनीतिक प्रयोगशाला की धरती कहे जाने वाली झारखंड में अब एक नए राजनीतिक प्रयोग की कवायद शुरू की गई है। इस प्रयोग में राजनीति के नए मानक गढ़े जा रहे हैं। और नए प्रतिमान स्थापित करने का संकल्प भी है।

झारखंड की राजनीति को नया विकल्प देने और परंपरागत राजनीति से इतर जनता को नया टेस्ट देने के उद्देश्य से यह प्रयास शुरू किया गया। इस प्रयोग के राजनीतिक किरदार को देख आप हैरत में जरूर पड़ जाएंगे। वजह भी साफ है क्योंकि इन किरदारों की नयी जमात में कोई भाजपा का पुराना हमसफर है तो कोई भाजपा के खिलाफ बीते विधानसभा चुनाव में विरोध का मुखर स्वर बन पूरी चुनावी गणित को बिगाड़ने वाला किरदार भी है। सभी झारखंड के राजनीति के पुराने व मझे हुए खिलाड़ी है। बस चोला नया है। इस नायाब राजनीतिक प्रयोग को लेकर झारखंड में राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ गई है।

दरअसल झारखंड में तीसरा मोर्चा तैयार हो गया है। जिसमें झारखंड की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व मंत्री सह जमशेदपुर पूर्वी सीट से वर्षों से जीतते आए पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराकर बड़ा उलटफेर करने वाले विधायक सरयू राय, आजसू सुप्रीमो व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो,विधायक लंबोदर महतो,एनसीपी विधायक कमलेश सिंह और अमित यादव है। इस मोर्चा के गठन की विधिवत घोषणा की गई है। हालांकि इस मोर्चे में और कितने किरदार शामिल होंगे? इसकी सांगठनिक रूपरेखा कैसी होगी? और एजेंडा क्या होगा?

इस मोर्चा का सांगठनिक व चुनावी राजनीति को लेकर क्या विधिवत रणनीति रहेगी? इसको लेकर अभी बहुत कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है। लेकिन इतना जरूर है कि इस मोर्चा के जरिए सभी ने नए जोश व संकल्प के साथ झारखंड की राजनीति को नया रूप देने का भरोसा जताया है।

देश में विकासात्मक राजनीति के बढ़ रहे जोर का झारखंड में भी असर :-

उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत पांच राज्यों में चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद भारतीय राजनीति एक बार फिर एक नए विचारधारा की ओर अग्रसर हो रही है। पांच राज्यों में हुए चुनाव में जनता ने सभी जगह पूर्ण बहुमत का स्पष्ट जनादेश दिया। चार जगहों पर जनता ने केंद्रीय राजनीति को नई दिशा देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया। वहीं दूसरी ओर पंजाब में दिल्ली की क्षेत्रीय राजनीति के जरिए जनहितैषी छवि बनाने वाले अरविंद केजरीवाल पर भी लोगों ने भरोसा जताया है।

इस जनादेश का सीधा संदेश यही है कि अब जनता खोखले वादे, हवा हवाई दावे और जातपात के पचरे पर भरोसा करने वाली नहीं है। बल्कि उसे धरातल पर उतर रहे विकास की राजनीति पसंद है। हालांकि विकास की राजनीति की शुरुआत लगभग एक दशक पहले से ही हो चुकी है। जहां केंद्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी है और दूसरी ओर दिल्ली में परंपरागत राजनीति से दीगर लोगों ने भारतीय राजस्व सेवा के अफसर व समाजसेवी अरविंद केजरीवाल पर भरोसा जताया। दोनों ने जनता के भरोसे पर खरा उतरने को लेकर लगातार प्रयास किया। जहां नरेंद्र मोदी ने देश की सुरक्षा, देश की विश्व स्तर पर पहचान स्थापित करने तथा जनकल्याणकारी योजनाओं को सख्ती से जमीन पर उतार कर जनता के बीच अपनी पैठ बनाई। तो दूसरी ओर दिल्ली में शासन करने के दौरान अरविंद केजरीवाल ने भी बिजली, पानी, स्वास्थ्य जैसी कई सेवा को सस्ते दर में आम गरीबों को उपलब्ध करा कर लोगों के दिलों में भरपूर जगह बनायी।

यही कारण है कि जात पात की राजनीति से ऊपर उठकर लोगों ने भरोसेमंद नेतृत्व और विकासात्मक राजनीति को तरजीह दी। भारतीय राजनीति में बदल रहे जनादेश के नए स्वरूप को अब सभी मानने व समझने ही लगे है। इस जनादेश का असर झारखंड में भी दिखने लगा है। जिस कारण अब झारखंड में भी परंपरागत राजनीति से अलग नए तरीके से राजनीति करने हेतु यह मोर्चा बनाकर प्रयास शुरू किया गया। हालांकि इसके चेहरे झारखंड की राजनीति में काफी पुराने हैं। मगर सभी साथ मिलकर एक नई शुरुआत कर रहे हैं।

कई हैरतअंगेज राजनीतिक प्रयोग करने वाले झारखंड में अब

एक नया हो रहा प्रयोग :-

झारखंड की राजनीति का इतिहास केवल दो दशक पुराना ही है। लेकिन इन 21 वर्षों में झारखंड की राजनीति ने कई हैरतअंगेज प्रयोग भी किए है। इसी झारखंड की राजनीति में निर्दलीय मुख्यमंत्री के रूप में मधु कोड़ा ने ढाई साल तक शासन कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। वही मुख्यमंत्री बनने को लेकर विश्वास मत हासिल करने के लिए विधायकों के समूह को झारखंड से कहीं दूर एक जगह गुप्त स्थान पर रखने, पेड न्यूज़ के जरिए चुनाव के दौरान राजनीतिक लाभ लेने, एक मुख्यमंत्री व उसके कई मंत्रियों का आय से अधिक मामले में जेल जाने, हॉर्स ट्रेडिंग जैसे न जाने कितने ही घटनाएं व प्रयोग हुए।

अब इसी झारखंड में कई सालों तक परंपरागत राजनीति करने वाले अलग अलग विचारधारा के कई बड़े चेहरे एकजुट होकर और नया चोला पहन एक नया राजनीतिक प्रयोग करने वाले हैं। इस तीसरे मोर्चे का निर्माण मिशन 2024 को ध्यान में रखते हुए और वर्तमान समय में जनहित के मुद्दों को तरजीह देने के लिए हुआ है।

फिलहाल विधानसभा सत्र में यह मोर्चा संयुक्त रूप से जनहित के मुद्दों को उठाएगा। हैरत की बात ये भी है कि सुदेश महतो एक ओर तो भाजपा के साथ हैं वहीं दूसरी ओर वे इस नये गठबंधन में भी कैसे शामिल हैं?

खैर मामला जो भी हो फिलहाल 2 आजसू,1 एनसीपी,2 निर्दलीय विधायक की यह टोली झारखंड में क्या गुल खिलाएगी यह तो आने वाला भविष्य ही तय करेगा। लेकिन इस नये गठबंधन से झारखंड का राजनैतिक तापमान जरूर बढ़ गया है।

विकास कुमार,

(वनांचाल 24 TV ,रांची)

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