Spread the love

बाबा उमाकान्त जी महाराज ने स्वस्थ रहने का दिया टिप्स्स…..

मौसम के अनुसार खान-पान से शरीर रहता है स्वस्थ्य….

रांची ( अर्जुन कुमार प्रमाणिक) वनांचल 24 टीबी लाईव के धार्मिक पेज पर बाबा उमाकांतजी महाराज ने मौसम के अधार पर स्वस्थ्य कैसे रहें पर संदेश देते हुये उन्होंने कहा कि मनुष्य को स्वस्थ्य रहने के लिए प्रकृति और प्रचीन नियामों को पालन करना चाहिये । वही उन्होंने कहा की खानपान से भी शरीर पर विपरीत असर है जिसके लिए पान खाने से शरीर को फायदा होता है । रोगों को दूर करने, ताकत बढ़ाने के लिए खाली चूने का पान खाए जाए तो कैल्शियम की कमी दूर होगी, हड्डियां मजबूत होगी, पाचन शक्ति तेज होगी। सुपारी डालने लगे। सुपारी पेट में पड़ी हुई चीज को हजम करती है। लेकिन उसमें जब तंबाकू डालने लग गए तो पान नुकसानदेह और जहरीला हो गया।

वही उन्होनें पुरानी पद्धति से कथा भागवत अनुष्ठान करवाने वाले विद्वान, पंडित जी ताम्बूल रखवाते हैं, कहते हैं देवताओं को प्रिय है। उसे धीरे-धीरे अगर मुंह में चूसते रहो तो उसका बहुत अच्छा असर रहेगा। उसका रस धीरे-धीरे अंदर जाएगा, धीरे-धीरे काम करेगा। एकदम से कोई चीज खाओगे तो डायरेक्ट सीधा पेट में और पाचन प्रक्रिया में चला जाएगा। तब असर उतना नहीं करता है। फिर तो वह मल के रूप में परिवर्तित हो जाता है।

इसलिए कहते हैं धीरे-धीरे चूसो और इसलिए डॉक्टर लोग कहते हैं यह गोली मुंह में रख कर धीरे-धीरे इसको चूसते रहो। मंगल को अगर कहीं जाना हो तो थोड़ा गुड़ खा लो तो वह असर कम हो जाएगा। बुधवार को धनिया खाना चाहिए। बृहस्पतिवार को जीरे का चार दाना मुंह में डालो तो वातावरण हवा पानी का असर उतना नहीं होगा। शुक्रवार को दही खाकर जाने से सही रहता है। शनिवार को अदरक फायदा करता है। ठंडी के महीने में गर्म चीज खानी चाहिए जैसे हल्दी, गरम मसाला आदि। पैसे वालों को काजू, बादाम खाने चाहिए तो ठंडी का असर नहीं होगा। गर्मी के महीने में तरबूज, खरबूज, खीरा खाना चाहिए। शरीर को पानी की कमी नहीं होगी, शरीर गर्मी को बर्दाश्त कर लेगा।

मूली खीरा दही खाना कब ज्यादा फायदा करता है

महाराज जी ने बताया कि सुबह मूली मूल है यानी अमृत तुल्य है। दोपहर को मूली का गुण और शाम को मूली सूली के समान यानी नहीं खाने लायक है। सुबह खीरा हीरा है दोपहर में खीरा के गुण और शाम को खीरा पीड़ा (देने वाला) है। सुबह दही सही है और शाम को दही नहीं (खाना चाहिए)। दिनातरे पीबेत दुग्धम निशान्तरे पिबेत पयरू। सुबह उठकर के पिछली शाम का रखा पानी पी करके शौच जाना चाहिए। न जानकारी में लोग कहते हैं शाम को दही बड़ा नहीं खिलाओगे, सलाद नहीं बनाओगे तो ठीक से भोजन नहीं कराया, भोज इनका अच्छा नहीं हुआ।

संकल्पित भोजन चीज नहीं खाना, नहीं उपयोग में लेना चाहिए…..

महाराज जी ने बताया कि सबने कहा, मृत्यु भोज, संकल्पित अन्न सन्तमत के लोगों को नहीं खाना चाहिए, संकल्पित चीज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यह जो छोटे-छोटे देवता लोगों ने बना लिए, उनके स्थान पर चढ़ाया हुआ कोई भी चीज सन्तमत मानने, सुरत शब्द की साधना करने वालों को नहीं खानी चाहिए। देवता को पहले लोग भोग लगाते, खिलाते थे तो देवता खुश होते थे और खुश होकर के इस शरीर के अंगों के अंदर गुण पैदा कर देते थे, संचार शक्ति ला देते थे।

जब उनको भोग लगा करके उनकी ताकत का इजहार उसमें करा करके लोग खाते तो उसका फायदा होता था लेकिन अब इस समय मलीन युग में न तो लोगों को मालूम है कि कैसे बुलाया जाता है और न खिला पाते हैं। जो यह अन्य आत्माएं 17 तत्व के लिंग शरीर में होती है, जो शरीर के ऊपर कूद करके, आकर के अपने को ही देवी देवता हनुमान बताने लगती है, लोग उन्हीं को देवता मान करके खिला देते हैं। देवताओं को बुलाने, खिलाने, भोग लगाने का तरीका नहीं मालूम तो लाभ नहीं मिल पाता है। सन्तों ने कहा उनको चढ़ाया हुआ संकल्पित अन्न नहीं खाना चाहिए। आप बहुत से सतसंगी गुरु का भोग लगाते हो, गुरु की तस्वीर के सामने आप रखते हो लेकिन आपको यह नहीं पता कि आपका भोग स्वीकार करते हैं कि नहीं करते हैं।

आपने तो रख दिया, उसके बाद ले गए, मिला दिया, खा लिया। जब तक अंतर में आप देख नहीं पाओगे कि आप के भाव के अनुसार वह ग्रहण कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं तब तक वह प्रसाद नहीं बनेगा। लेकिन आपकी भावनाएं, इच्छा रहती है कि हम जो बनावे वो पहले गुरु को अर्पण करें, गुरु को खिलावें उसके बाद हम खाये। चलो आपकी भावनाओं को ठुकराया नहीं जा रहा है, उसकी कदर की जा रही है। चलो धीरे-धीरे सीख जाओगे। अभी तो आप तस्वीर के सामने रखते हो फिर आप आंख बंद करना, ध्यान लगाना भी सीख जाओगे फिर उनको भोजन करते हुए, उनको प्रसादी छोड़ते हुए भी दिख जाओगे।

Advertisements

You missed