खुशनुमा माहौल में अदा की गई ईद की नमाज, लच्छे-सेवईया के साथ चला ईद मुबारक को दौर, मुसलमानों ने मांगी मुल्क के अमन-शांति दुआ…
सरायकेला Sanjay । ईद मुस्लिम समुदाय का पवित्र त्योहार है। रमजान खत्म होते ही सरायकेला सहित खरसावां एवं आसपास में खुशनुमा माहौल के बीच ईद-उल-फितर मनाई गई। लोगों ने मस्जिदों व ईदगाह में ईद की नमाज अदा किया। वही नमाज के बाद सामुहिक रूप से मुसलमानों ने मुल्क की अमन-शांति के लिए अल्लाह से दुआये मांगी। इसके पश्चात सारे गिले-शिकवे भूलकर एक दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। और एक दुसरे को लच्छे-सेवईया खिलाकर ईद की मुबारकबाद देने का दौर शुरू हो गया। जश्न-ए-ईद पर सरायकेला के राजबांध स्थित ईदगाह और बाजार लहरी टोला स्थित जामा मस्जिद में तथा खरसावां के दो ईदगाह एवं एक मस्जिदों में ईद की नमाज अदा की गई। खुशनुमा माहौल के बीच जश्न-ए-ईद की खुशिया छाई रही।
रमजान के मुबारक महीना के बाद रोजेदारों के लिए खुदा के तोहफा के रूप में मिला ईद खुशिया लेकर आई है। शनिवार को मुसलमान भाईयों ने नए वस्त्र पहन कर नमाज अदा करते हुए अल्लाह ताला से दुआ मांगी। ईद-उल-फितर की दो रेकात नमाज अदा की गई। कदमडीहा ईदगाह, बेहरासाई ईदगाह, मस्जिद निजामुददीन गोढपुर में नमाज पढी। ईद के नमाज के पुर्व ईमामो ने रोजे, जकात, फितरा, की जानकारी दी। वही खुदवा सुन्ने के बाद खुदा से दुआ मांगी गई। इधर महिलाओं ने भी एक दुसरे के घरो में जाकर ईद की मुबारकबाद दी। सेवई, लच्छा, पुलाव, बिरयानी आदि बनाकर लोग दावत लेते देते नजर आये। ईद की वजह से मुस्लिम बहुल इलाके में गुलजार रहा।
मानवता का संदेश देने वाला ईद: रजवी।
मदीना मस्जिद बेहरासाई के मौलाना मो आसिफ इकबाल रजवी ने कहा कि मानवता का संदेश देने वाला ईद उल फितर का त्योहार सभी को समान समझने व गरीबो को खुशियां देने के लिए प्रेरित करता है। रमजान के पवित्र माह में जो लोग अपने सदव्यवहार के साथ नेकी की राह पर चलते है। अल्लाह ताला उनके जीवन को ढेर सारी खुशियों से भर देते है।
रंग बिरंगे कपडों में चहके बच्चे
नमाज के बाद युवक, बुजूर्ग व बच्चों ने भी एक दुसरे को सलाम करके एवं गले मिलकर ईद की बधाई दी। रंग-बिरंगे कपडों के साथ बच्चों में अधिक उत्साह देखा गया। घर घर में खूब मेहमान नवाजी हुई। मिठाईयों एवं अनेक प्रकार के व्यंजन के खाने और दोस्तों तथा रिष्तेदारों को खिलाने का दौर चला।
जरूरतमदों के बीच बांटी गई जंकात:-
ईद-उल-फितर की नमाज के पूर्व मुस्लिमों ने परिवार के सदस्यों को नकद, सोने, जेवरातों के लिए निकाला गया जकात जरूरतमदों के बीच बांटा। नमाज के पूर्व जकात देना अनिवार्य है।
घरो में चला लच्छे, सेवईया का दौर
खुशी और भाईचारे के इस त्योहार में पकवानों का जोर रहा। प्रत्येक घर में लच्छे, फलूदा, खीर, छोला, सेवईया, दहीबोडा, चिकन, मटन, आदि पकवाने बनी। इस दौरान विषिष्ट पकवानो से मेहमानों का स्वागत किया गया।