काले कानून को वापस ले सरकार, FJCCI के आह्वान पर अनिश्चितकालीन बंद रहेगी दुकानें: मनोज कुमार चौधरी…
सरायकेला Sanjay। राज्य सरकार द्वारा लादे गए कृषि कर के खिलाफ व्यवसायियों का अनिश्चितकालीन बंद आंदोलन शुरू हो गया है। गुरुवार को भी व्यवसायियों ने जिले में अपने सारे थोक प्रतिष्ठान बंद रखें। कृषि कर के विरोध में जिले के थोक विक्रेता लगातार विरोध जता रहे हैं। बताया जा रहा है कि कृषि जिंसों पर अवांछित कर का बहुत ही ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। सरायकेला-खरसावां जिले के साथ कोल्हान की सभी राइस मिले लगभग बंद होने के कगार पर खड़ी हो जाएगी। आज के इस बंदी में आदित्यपुर, गम्हरिया, खरसावां, राजनगर एवं अन्य विभिन्न क्षेत्रों के व्यवसायियों ने जिले के खाद्यान्न एवं आलू प्याज के थोक व्यवसायियों ने बंद को सफल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। चेंबर के महासचिव मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि किसान और गरीबों की सरकार अपने आपको कहने वाली झारखंड सरकार व्यापारी, जनता एवं किसानों की सुध ले।
सरकार हठधर्मिता छोड़कर कृषि जिंसों पर अवांछित कर को अविलंब शिथिल करें। अन्यथा जहां बंदी से आम जनता और किसान परेशान हो रहे हैं वही करोड़ों का लेनदेन प्रभावित हुआ है। खुदरा व्यवसायी संघ ने भी आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत जिले के खाद्यान्न व्यवसायी संघ, आलू प्याज व्यवसायी संघ, खुदरा खाद्यान्न व्यवसाई संघ ने अपने अपने प्रतिष्ठानों को पूर्ण रूप से बंद रखा। सरायकेला बाजार समिति में भी सभी खाद्यान्न व्यवसायी और आलू प्याज व्यवसायियों ने अपना व्यापार पूर्ण रूप से बंद रखा। पिछले 2 वर्ष से व्यापारी कोविड-19 मार झेल रहे थे। अभी वर्तमान में व्यापार पटरी पर आ ही रहा था लेकिन झारखंड सरकार के अव्यवहारिक कृषि जिंसों पर 2% का शुल्क लगाया जाना व्यापारियों की कमर तोड़ने का काम है।
सरकार को इस जनविरोधी फैसले सोच विचार कर लेना चाहिए। वर्तमान व्यवसायिक क्षेत्रों में 4 गुना होल्डिंग टैक्स, बिजली बिल में बढ़ोतरी जैसे फैसले से भी व्यापारी परेशान हैं। सरकार अविलंब कृषि बिल की बढ़ोतरी वापस ले अन्य व्यापारी एफजेसीसीआई के आह्वान पर आंदोलन को बरकरार रखेंगे। सरायकेला चेंबर के चेयरमैन प्रदीप चौधरी ने कहा कि जल्द से जल्द इस काले कानून को राज्य सरकार वापस ले, नहीं तो यहां का व्यापार का पलायन दूसरे राज्यों में हो जाएगा। राज्य सरकार जल्द से जल्द इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कृषि कर को वापस कर व्यवसायियों एवं किसानों को राहत प्रदान करें।
चेंबर के उपाध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने कहा कि यह कृषि कर लागू होने से यहां के आदिवासियों, मूल वासियों को किसानों को आर्थिक दोहन शोषण किया जाएगा। आम जनता पर महंगाई की मार अलग से पड़ेगी। उन्होंने जल्द से जल्द इस कृषि कर को राज्य सरकार से वापस लेने की मांग की है।