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जगन्नाथ रथ यात्रा: महाप्रभु श्री जगन्नाथ गाजे बाजे के साथ रथ पर सवार होकर अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के संग चले मौसी बाड़ी की ओर…

सरायकेला – संजय कुमार मिश्रा

सरायकेला। जगन्नाथ धाम पुरी की तर्ज पर सरायकेला में आयोजित होने वाले परंपरागत रथ यात्रा का मंगलवार को आगाज किया गया। इसके तहत मंगलवार की शाम महाप्रभु श्री जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई अग्रज बलभद्र के साथ श्री मंदिर से मौसी बाड़ी के लिए प्रस्थान किए। इससे पूर्व श्री मंदिर में पंडित ब्रह्मानंद महापात्र की देखरेख में महाप्रभु के विशेष और भव्य पूजा अर्चना का कार्यक्रम किया गया। जिसके बाद भक्तों के गोद में सवार होकर महाप्रभु सहित बहन सुभद्रा और अग्रज बलभद्र के विग्रह को परंपरागत तरीके से पैदल चलते हुए हनुमान चौक पर खड़ी रथ के समीप लाया गया। इस दौरान परंपरानुसार सरायकेला राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव ने महाप्रभु के आगे चलते हुए छैंरा पौंरा की।

रथ के समीप पहुंचने के पश्चात तीनों विग्रहों को रथ के समीप रखते हुए बतौर यजमान सरायकेला राजा प्रताप आदित्य सिंह देव ने महाप्रभु के मौसी बाड़ी प्रस्थान की पूजा अर्चना की। जिसके बाद महाप्रभु श्री जगन्नाथ सहित बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के विग्रह को मंत्रोच्चार के बीच भक्तों द्वारा नंदीघोष रथ पर सवार कराया गया। और जय जगन्नाथ, जय जय जगन्नाथ के जयकारे के साथ मौसी बाड़ी के लिए रथ यात्रा प्रारंभ की गई।

तकरीबन 250 मीटर की दूरी रथ यात्रा कर तय करने के साथ रथ को गोपबंधु चौक स्थित बड़दांड पर लाकर रात्रि विश्राम के लिए प्रतिस्थापित किया गया। जहां पूजा अर्चना के पश्चात प्रथम दिन के मौसी बाड़ी यात्रा कार्यक्रम को संपन्न कराया गया।

सरायकेला राजा ने की छैंरा पौंरा:-


परंपरा अनुसार महाप्रभु श्री जगन्नाथ सहित बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के विग्रह को कंधे पर उठाकर पुजारियों एवं जगन्नाथ भक्तों के द्वारा श्री मंदिर से तैयार रथ तक के लिए प्रस्थान प्रस्थान किया गया। इस दौरान परंपरा अनुसार सरायकेला राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव ने महाप्रभु के आगे चलते हुए कुश मिश्रित जल मार्ग में छिड़काव करते हुए कुश के झाड़ू से मार्ग को बुहारा गया। इसे छैंरा पौंरा परंपरा कहा जाता है।

राहों में बनी रंगोली रहा आकर्षण का केंद्र:-

महाप्रभु के रथ यात्रा के मार्ग को इस वर्ष पहली बार रंगोली से सजाए जाने का कार्यक्रम किया गया। जिसके तहत रथ यात्रा के मार्ग पर आकर्षक रंगोली तैयार की गई। रथ यात्रा के मार्ग में तैयार की गई रंगोली भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रही। सभी ने इसकी भरपूर सराहना की।

शुभ संयोगो का रहा प्रभाव:-

महाप्रभु श्री जगन्नाथ के श्री मंदिर से प्रस्थान के साथ ही क्षेत्र में हल्की बूंदाबांदी बारिश का दौर जारी रहा। जिसे जानकार और स्थानीय जनों द्वारा महाप्रभु के रथ यात्रा के लिए शुभ संयोग और शुभ संकेत बताया है।

जगन्नाथ सेवा समिति ने निभाई सक्रिय भूमिका:-
रथ यात्रा शुभारंभ के अवसर पर जगन्नाथ सेवा समिति की देखरेख में सभी कार्यक्रम संपन्न कराए गए। जिसमें समिति के अध्यक्ष राजा सिंहदेव, उपाध्यक्ष सुदीप पटनायक, सचिव पार्थसारथी दास, चिरंजीवी महापात्र, परशुराम कवि, राजीव महापात्र, बादल दुबे, सुशांत महापात्र, दुखु राम साहू, राजेश मिश्रा, भोला महंती, दाशरथी परीक्षा, गणेश सतपति एवं सुमित महापात्र सहित अन्य जगन्नाथ भक्तों ने भी सराहनीय भूमिका निभाई।

सीनी में भी हुई परंपरागत पूजा अर्चना:-
सीनी में भी रथ यात्रा के कार्यक्रम किए गए। वही इस अवसर पर परंपरा अनुसार मौसी बाड़ी यात्रा का शुभारंभ करते हुए विधि विधान के साथ महाप्रभु की पूजा अर्चना की गई। इसके साथ ही जगन्नाथ भक्तों ने रथ यात्रा के अवसर पर महाप्रभु की विशेष पूजा अर्चना करते हुए सुख शांति और समृद्धि की मंगल प्रार्थना की।

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