कुष्ठ रोगी खोज अभियान: तीन दिनों में 13 कुष्ठ रोगियों की हुई पहचान . . .
सरायकेला : SANJAY
सरायकेला-खरसावां जिले में कुष्ठ पीड़ितों की पहचान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन के तहत कुष्ठ रोगी खोज अभियान 15 जून से 28 जून तक चलाया जा रहा है। मात्र तीन दिनों के अभियान में ही 13 कुष्ठ पीड़ितों की पहचान टीम द्वारा की गई है, जिसमें गम्हरिया के दो, आदित्यपुर के तीन, सरायकेला के एक, खरसावां के एक, नीमडीह के चार राजनगर के दो कुष्ठ पीड़ितों की पहचान की गई है। कुष्ठ रोगियों की पहचान के लिए गठित 1811 लोगों की टीम पूरे जिले में भ्रमण कर रही है और कुष्ठ रोगियों की पहचान कर रही है, ताकि पीड़ितो की पहचान कर तुरंत उनका इलाज शुरु किया जा सके। विभाग उक्त अभियान के तहत 12 लाख से ज्यादा लोगों का शारीरिक जांच कर स्कीन डिजीज रोगियों की पहचान की जाएगी।
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संक्रमित व्यक्ति ही फैला रहे कुष्ठ:-
जिले में सबसे ज्यादा 114 कुष्ठ पीड़ित राजनगर में हैं। नौ प्रखंडों में सबसे ज्यादा संख्या राजनगर में कुष्ठ पीड़ितों की होने के बाद विभाग ने इसे गंभीरता से लिया और फरवरी माह में राजनगर में एक टीम का गठन कर सर्वे कार्य कराया गया। हालांकि सर्वे में कुष्ठ के राजनगर में ज्यादा फैलने की बात का पता तो नहीं लग पाया। लेकिन एक बात जरुर सामने आई कि राजनगर में कई ऐसे कुष्ठ पीड़ित है जो जाने अनजाने में अपनी बीमारी को छिपा कर रख रहे हैं। जिसका परिणाम यह हो रहा है कि मायकोबैक्टीरियम लैप्री नाम का बैक्टीरिया उनके परिवार के दूसरे सदस्यों व समाज के अन्य लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहे हैं। चूंकि कुष्ठ मरीज को यह पता ही नहीं होता कि उसे कुष्ठ की बीमारी है इस कारण वह अपने परिवार के साथ ही रहता है और समाज के संपर्क में भी रहता है। जब उक्त रोग से संक्रमित रोगी खांसता या छींकता है तो इसके बैक्टीरिया हवा में फैलकर स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर रहे हैं। अगर संक्रमित व्यक्ति ने संदेह होने पर डाक्टर को खुद को दिखाया होता तो कुष्ठ फैलने का खतरा बहुत हद तक टल सकता था। राजनगर ही नहीं दूसरे प्रखंडों में भी कुष्ठ पीड़ितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। उसके भी यही कारण है कि वे पीड़ित होने के बाद भी खुद का इलाज नहीं करा रहे हैं और स्वस्थ व्यक्तियों को भी संक्रमित कर रहे हैं। लंबे समय तक रोगी के लगातार संपर्क में रहने से लेप्रोसी की बीमारी हो सकती है। लेप्रोसी के कारण स्किन अल्सर, नर्व डैमेज और मांसपेशियों में कमजोरी की समस्या हो सकती है। यदि इसका समय रहते इलाज न कराया जाए तो विकलांगता तक हो सकती है। इसका बैक्टीरिया धीरे-धीरे बढ़ता है और इसके लक्षण दिखने में तीन से बीस वर्ष तक भी लग सकते हैं।
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कोट:-
पीड़ित व्यक्ति के परिवार को सिर्फ एक बार प्रिकाशन डोज खिलाया जाता है। शुरुआती दौर में अगर कुष्ठ की पहचान हो जाए तो कुष्ठ से पीड़ित व्यक्ति को छह से एक वर्ष तक की दवा खिलाई जाती है, जिससे वह स्वस्थ हो जाता है।
-डॉ निशांत कुमार, लेप्रोसी कंसलटेंट सरायकेला- खरसावां।