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बागरायडीह व मुरुप में दहकते अंगारो पर नंगे पावं चले भक्त…..

सरायकेला Sanjay : खरसावां प्रखंड के बागरायडीह व सरायकेला प्रखंड के मुरूप गांव में गुरुवार को माता दुर्गा के वनदेवी रुप की पूजा अर्चना की गयी। इन दोनो मंदिरो की ख्याति जिला ही नही पड़ोसी राज्यो तक फैली है। जिसके कारण प्रतिवर्ष विजयादशमी के दूसरे दिन यहां पूजा अर्चना करने के लिए हजारो भक्तो की भीड़ जूटती है। जो मेला का रुप ले लेता है। इन मंदिरो में तांत्रिक मत से माता की पूजा की जाती है और मन्नत अनुसार बलि पूजन किया जाता है। गुरुवार को दूरदराज व आसपास के हजारो भक्त श्रद्धालुओं द्वारा माता वन दुर्गा देवी का भक्ति व श्रद्वा के साथ पूजा-अर्चना किए। सुबह में स्थानीय जलाशय से पूजा अर्चना कर भक्तों द्वारा दंडी पाठ करते हुए मंदिर परिसर पहुंचे।

इस दौरान भक्तों द्वारा माता को प्रसन्न करने के लिए कई आकर्षक करतब दिखाए। कई भक्त कांटों की सेज बना कर उन पर लेट गए परंतु उनके शरीर में कोई जख्म तक नहीं हुआ। इसके बाद मंदिर परिसर में नियामाड़ा के लिए बनाए गए अग्निकुंड में माता अगनि कुमारी की पूजा अर्चना की गई। पूजा के बाद भक्त श्रद्धालु नंगे पांव दहकते अंगारों पर चलकर इसे पार किए लेकिन देवी दुर्गा की भक्ति ही कहे कि किसी भक्त के पावं में छाले तक नही पड़े। दूर दराज से पहुंचे भक्त श्रद्वालुओं ने बताया कि माता के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई हर भक्तों की मुरादे पूरी होती है। बुजुर्ग बताते हैं कि लोग कई तरह की मन्नतें मांगते हैं। कोई बच्चे के लिए, कोई रोजगार के लिए, कोई पारिवारिक विवाद को खत्म करने के लिए, तो कोई मां से सच्चा आशीर्वाद देने की दुआ करता है। जब भी किसी व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है तो वह नियामाड़ा में हिस्सा लेता है और दहकते अंगारों पर चलता है। भक्त बताते हैं कि माता के आशीर्वाद से न तो पैरों में जलन होती है और न छाले पड़ते हैं। अंगारों पर चलने पर कोई परेशानी भी नहीं होती है। ऐसे तो इन मंदिरो में जिउतिया के बाद से 16 दिनो की मां की पूजा शुरु होती है जो एकादशी के दिन संपन्न होती है। दोनो मंदिरो में स्थानीय पूजा समिति द्वारा भक्त श्रद्वालुओं के सुविधा के लिए सारी प्रबंध किया गया था।

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