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चैत्र पर्व के अवसर पर परंपरागत राजेंद्र अखाड़ा द्वारा शक्ति स्वरूपा मां झुमकेस्वरी पीठ में की गई आराधना . . .

सरायकेला। सरायकेला के परंपरागत छऊ घराना राजेंद्र अखाड़ा की ओर से चैत्र पर्व के अवसर पर शक्ति की प्रतीक मां झुमकेस्वरी पीठ में माता झूमकेश्वरी की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई। अखाड़ा प्रमुख नीरज कुमार पटनायक के नेतृत्व में अखाड़ा के कलाकार और हंसाहुड़ी बस्ती निवासियों ने माता के दरबार में मत्था टेकते हुए छऊ नृत्य कला के उत्थान और बाधारहित चेत्र पर्व के संपन्न होने की मंगल प्रार्थना की। इस अवसर पर मां झुमकेस्वरी की प्रसन्नता के लिए परंपरानुसार बली प्रसाद का चढ़ावा चढ़ाया गया। जिसका सेवन मान्यता के तहत झुमकेस्वरी स्थल पर ही भक्तों द्वारा किया गया। मौके पर परंपरा का निर्वहन करते हुए अखाड़ा प्रमुख नीरज कुमार पटनायक सहित अखाड़ा के छऊ कलाकारों द्वारा अखाड़ामाड़ा करते हुए छऊ नृत्य की प्रस्तुति की गई। इस अवसर पर अखाड़ा प्रमुख नीरज कुमार पटनायक ने बताया कि राजेंद्र अखाड़ा के संस्थापक सह प्रथम गुरु स्वर्गीय राजेंद्र पटनायक थे। जिसके बाद उनके पुत्र स्वर्गीय नाथ शेखर बन बिहारी पटनायक को बिहार सरकार की तरफ से राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र का प्रथम निदेशक बनाया गया था। उन्होंने हर पार्वती, सबर, धिबर, मधु कैटव जैसे नृत्यों की रचना की थी। उन्होंने बताया कि राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र के प्रथम निदेशक स्वर्गीय नटशेखर बन बिहारी पटनायक के कार्यकाल में बिहार सरकार द्वारा ₹5 की राशि मां झुमकेस्वरी नाम फंड से दिया जाता था। जिसमें सभी कलाकारों को आमंत्रित कर माता की सामूहिक पूजा अर्चना की जाती थी। और माता झुमकेस्वरी के आशीष लेकर अखाड़ा माड़ा किया जाता था। परंतु आज के समय में दुख के साथ कहना पड़ता है कि जिला प्रशासन आयोजित उक्त पूजन कार्यक्रम में आमंत्रण नहीं दिया जाता है। लेकिन राजेंद्र अखाड़ा घराना द्वारा प्रत्येक वर्ष मां झुमकेस्वरी की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर परंपरा को संरक्षित रखा जा रहा है। इस मौके पर माता झूमकेश्वरी से प्रार्थना की जाती है कि चैत्र पर्व में किसी प्रकार की बाधा विघ्नों ना हो और आंधी तूफान एवं बारिश के प्रकोप से चैत्र पर्व की सुरक्षा हो।

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