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राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने की जनसुनवाई; शिविर में आए 52 मामलों को सुना और की त्वरित कार्रवाई।

कला एवं संस्कृति की धरती है झारखंड; यहां के बांस के झुरमुट

भी हवा के झोंके से सरसराते हैं तो लगता है कि बिस्मिल्ला खां

की बांसुरी की धुन बज रही हो : बन्ना गुप्ता….

सरायकेला। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरायकेला खरसावां जिला कमेटी द्वारा सरायकेला स्थित उत्कलमणि आदर्श पाठागार में जनसुनवाई कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सह जिले के 20 सूत्री प्रभारी मंत्री बन्ना गुप्ता ने जनसमस्याओं को सुनें। इस अवसर पर सिंहभूम सांसद गीता कोड़ा की उपस्थिति में जन समस्याओं को सुनते हुए समस्याओं का त्वरित निराकरण के लिए संबंधित विभाग के अधिकारी को निर्देशित किया।

 

इस दौरान उन्होंने कुल 52 जन समस्याओं को सुना। मौके पर स्थानीय पत्रकार दीपक कुमार दारोघा द्वारा उनकी स्वरचित कहानी छऊ की पुस्तक स्वास्थ्य मंत्री को भेंट की गई। साथ ही सरायकेला को सांस्कृतिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने की मांग को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा गया। इसमें दीपक कुमार दारोघा द्वारा बताया गया कि सरायकेला छऊ कला की धरती है। और झारखंड छऊ कला के लिए प्रसिद्ध है। सरायकेला रियासत के समय वर्ष 1938 में ही विदेश में सरायकेला छऊ कला प्रसिद्धि हासिल की।

 

देश के स्वाधीन होने के बाद यह कला विश्व में खास पहचान बनाई है। जहां 7 कलाकार पद्मश्री सम्मान से अलंकृत हो चुके हैं। वर्ष 2010 में यूनेस्को ने छऊ को इनटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज भारत की अतुल्य सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया है। अब जरूरत है कि ताजमहल खजुराहो की तरह छऊ की आदिस्थली सरायकेला का संरक्षण और संवर्धन की दिशा में उचित पहल की जाए। सांस्कृतिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित होने के लिए सरायकेला में कई दर्शनीय स्थल हैं। जैसे कि खरकाई नदी तट पर स्थित 500 साल पुराना भैरव पीठ स्थल प्राचीन छऊ नृत्य अखाड़ा सांस्कृतिक पर्यटन क्षेत्र में से एक है।

 

चैत्र पर्व छऊ महोत्सव राजकीय महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। खरकाई नदी के माजना घाट, महानीमा कुदर कुदरसाई में धार्मिक अनुष्ठान संपादित होती है। सरायकेला के माजना घाट के अलावा कूदरसाई भी सांस्कृतिक पर्यटन क्षेत्र में से एक धरोहर है। खरकाई नदी तट पर स्थित महानीमा कुदर डियर पार्क में परफॉर्मिंग आर्ट सेंटर तथा भुरकुली डूंगरी में छऊ मार्शल आर्ट सेंटर सांस्कृतिक पर्यटन दृष्टि से अच्छी पहल हो सकती है। इसे देखते हुए उन्होंने मांग की है कि सरायकेला को सांस्कृतिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए आवश्यक पहल की जाए।

मंत्री बन्ना गुप्ता ने मामले पर गंभीरता से सुनवाई करते हुए कहा कि सरायकेला छऊ कला की धरती है। और झारखंड में संस्कृति बस्ती है। जहां बांस के झुरमुट भी हवा के झोंके से बिस्मिल्ला खां की बांसुरी की धुन शरीके आवाज महसूस कर आते हैं। यहां के झूमर में गजब का आकर्षण है। जंगल में जुगनू की टीमटीमाहट तारे की जमीन पर होने का एहसास कराती है। जल जंगल जमीन का संरक्षण सरकार की पहली प्राथमिकता है। इसलिए सरकार के समक्ष सारी बातों को रख कर पहल की जाएगी। साथ ही अगले 20 सूत्री की बैठक में भी इस पर विचार विमर्श किया जाएगा।

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