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कंस रूपी निर्दयी अत्याचारी से मानव जाति की रक्षा करने के

लिए ही तारणहार ने धरती पर अवतार लिया: अनूपानंद जी

महाराज…

 

सरायकेला: सरायकेला के सिंचाई कालोनी स्थित हनुमान मंदिर परिसर में 26 मार्च से प्रारंभ हुए साप्ताहिक श्रीमद् भागवदगीता ज्ञान यज्ञ के पांचवे दिन भागवद गीता के एक प्रसंग पर वृंदावन से पधारे श्रद्धेय अनुपानंद जी महाराज ने भक्तो को भगवान कृष्ण के जन्म की कथा और प्रायोजन को बताया. उन्होंने कहा कि जब द्वापर युग में धरती पर कंस रूपी पापी ने पाप,अत्याचार और आतंक का साम्राज्य कायम कर दिया. उस पापी के आतंक से जनमानस त्राहिमाम करने लगा. जिसके बाद सभी जन ने अपनी रक्षा के लिए सच्चे मन से अपने तारणहार को पुकारा. जनमानस की करुण पुकार सुनकर भगवान श्री हरि ने कृष्ण रूप में अवतार लिया.और पापी कंस का संहार कर धरती को पाप से मुक्ति दिलाई.

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भगवद गीता के वचनों के अनुसरण से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है
अनुपानन्द जी महाराज ने सभी भक्तों को बताया कि “मानुष तन पावा”अर्थात कई जन्मों के पुण्य फल से ही मानव जीवन पाना संभव हो सका है.इस मृत्यभुवन पर चौरासी लाख जीवन है किंतु मानव जीवन ही एक ऐसा जीवन है जिसके लिए देवता भी तरसते हैं.यह एक ऐसा जीवन है जिसमे स्वयं भगवान ने अवतार लेकर धरती पर लीलाएं की हैं.मानव जीवन पुण्य कर्म करने के लिए है.लेकिन कलयुग में लोग इस जीवन के मूल्य को भुलाकर पाप में लीन होते जा रहे हैं.पाप कर्म से मानव जीवन को मोक्ष कभी नही प्राप्त हो सकता.मोक्ष की प्राप्ति के लिए सभी को भगवद गीता में कहे गए सभी वचनों का अनुसरण करना होगा तब जाकर मोक्ष की प्राप्ति संभव है.मोक्ष नहीं मिलने से यह जीवन इसी धरती पर चौरासी लाख योनियों में घूमता रहेगा.

भगवान कृष्ण के जन्म पर निकली गई भव्य झांकी
महाराज जी ने श्रीमद् भागवदगीता ज्ञान यज्ञ के पांचवे दिन सभी भक्त जन को भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा सुनाई जिसके पश्चात भव्य झांकी निकाली गई जिसमे भगवान के जन्म के पश्चात बासुदेव जी के द्वारा भगवान के बाल रूप को टोकरी में भर कर यमुना नदी पार कर गोकुल पहुंचाया गया.

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