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भागवत श्रवण मात्र से कई जन्मों के

पापों का नाश हो जाता : वेदव्यास जी

महाराज..

सरायकेला Sanjay । अग्रसेन ठाकुरबाड़ी भवन मारवाड़ी धर्मशाला सरायकेला में मारवाड़ी युवा मंच एवं मारवाड़ी महिला समिति सरायकेला द्वारा आयोजित भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा के प्रथम दिवस पर संत वेदव्यास जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को श्रीमद् भागवत पुराण महात्म्य की जानकारी देते हुए कहा कि इसके श्रवण मात्र से हमारे एक जन्म नहीं अपितु हमारे कई जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। उपस्थित श्रद्धालुओं को शास्त्री ने बताया कि यदि हमें आंतरिक शांति चाहिए तो अपने कर्तव्य का सदा ही शुद्ध मन से करने की चेष्टा बढ़ानी होगी। साथ ही उस परमात्मा को याद करने के लिए हमें कुछ समय अवश्य निकालना होगा, ताकि हमारे अंदर स्वच्छ विचारों का उदय हो सके। उन्होंने कहा कि हमें अहंकार को त्याग कर ईश्वर की भक्ति करनी होगी, इसी से शांति की प्राप्ति होगी। संत श्री ने कहा कि व्यक्ति के पास सुख सुविधाओं के बहुत साधन हो पर मन को शांति ना हो तो उसे कुछ अच्छा नहीं लगता और जिसके मन में शांति हो उसे किसी भौतिक वस्तु की जरूरत नहीं होती। अगर मन शांत है तो कोई भी अवगुण हमारे अंदर प्रवेश नहीं कर सकता। मन के शांत होने का अर्थ इच्छाओं का समाप्त हो जाना है। जब हमारी इच्छाएं पूरी तरह से शांत हो जाती हैं, तो आम मनुष्य भी महान संत स्वरूप हो जाता है। शास्त्री जी ने कहा कि कुछ सीमा तक इच्छाओं को नियंत्रण रखने में मन शांत हो सकता है। इच्छाओं से ही सारे अवगुण प्राप्त होते हैं। मोह-माया और अहंकार यह सब इच्छाओं से ही उत्पन्न होते हैं। जितनी अधिक इच्छाएं बढ़ती हैं उतना ही अधिक दुख भोगना पड़ता है। क्योंकि एक जन्म में सभी इच्छाएं मनुष्य की पूरी नहीं होती। मनुष्य के मन में संतोष होना स्वर्ग की प्राप्ति से भी बढ़कर है। मन में संतोष के भली-भांति प्रतिष्ठित हो जाने से जो सुख शांति की प्राप्ति होती है उससे बड़ा संसार में कुछ भी नहीं है। प्रथम दिवस पर में भारी संख्या में उपस्थित श्रद्धालु उपस्थित थे अंत में सामूहिक आरती और प्रसाद वितरण के साथ कथा संपन्न हुई।

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