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झारखंड में ओडिया भाषा संस्कृति पर अब नजर रखेगी ओडिशा

सरकार..

सरायकेला Sanjay : न केवल झारखंड के सरायकेला- खरसावां, सिंहभूम बल्कि विभिन्न राज्यों में रह रहे ओड़िया समुदायों के भाषा संस्कृति एवं उनके उत्थान निमित्त ओडिशा विधानसभा में एक महत्वपूर्ण बैठक उनके अध्यक्ष की अध्यक्षता में संपन्न हुई है। जिसमें आगामी 2036 को स्वतंत्र उत्कल प्रदेश गठन के सौवें वर्ष ( सालगिरह) पर ओडिशा से जो इलाका दुसरे राज्यों में रह गये थे वहां के लिए ओडिशा सरकार अपने अधिकारियों जरिए देख देख कर ओड़िया विकास पर ध्यान देगी। ओडिशा सरकार के इस नेक कदम पर सरायकेला के ओड़िया नेता सह पत्रकार कार्तिक परिच्छा ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को बंधाई दी है। गत मंगलवार को ओडिशा सरकार ने विधानसभा में एक बैठक का आयोजन किया था।

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जिसमें झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश के उन इलाके जो कभी ओडिशा के सीमा में रहे राजनीतिक कारण वश दुसरे राज्यों में चले गये उनकी भाषा संस्कृति संरक्षण निमित्त अब ओडिशा के अधिकारी सीधे तौर पर कार्य देखेगे। इस निमित्त बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि इलाके में उत्कल सम्मेलनी नामक संस्थान के सौजन्य से किताबों का वितरण के साथ शिक्षक, शिक्षिकाओं के मानदेय में अभिवृद्धि की जायेगी। झारखंड मे ओडिशा भाषा संस्कृति संरक्षक सह वरिष्ठ पत्रकार कार्तिक परिच्छा ने इस बाबत मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को जहां बंधाई दी है वहीं उन्होंने कहा कि जब सन् 2000 में केन्द्र के सदन में जब बिहार विभाजन का बिल पर बहस चल रहा था तब तत्कालीन गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने साफ शब्दों में कहा था कि सरायकेला-खरसावां जहां भी रहेगा उस प्रदेश तथा ओडिशा प्रदेश की सरकारें मिलकर ओड़िया भाषियों के समस्या को समझेंगे एवं निराकरण करेंगे। परन्तु डेढ़ दशक से झारखंड राज्य में ओड़िया समुदाय की शिक्षा, भाषा, संस्कृति, आर्थिक, सामाजिक स्थिति बद से बद्तर हो गयी। श्री परिच्छा ने ओडिशा विधानसभा में हुई निर्णय को ऐतिहासिक कदम बताया। कारण 1936 मे स्वतंत्र उत्कल प्रदेश का गठन जब हुआ था तब समग्र ओड़िया हित को लेकर मधुसूदन दास ने सपना देखा था। उन्होंने मौजूदा नवीन पटनायक सरकार को उन विचारों को तवज्जो देने पर बंधाई दी है।

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