सहायक आचार्य नियुक्ति का नोटिफिकेशन स्वीकार्य नहीं: बादल
सरदार।
सरायकेला। हाल ही में झारखण्ड सरकार द्वारा जारी किए गए सहायक आचार्य नियुक्ति के नोटिफिकेशन का टेट सफल सहायक अध्यापक संघ ने विरोध किया है. साथ ही इस नियमावली को झारखण्डी आदिवासी और मूलवासी युवाओं के साथ खिलवाड़ भी बताया है. शुक्रवार को इस संदर्भ में एक प्रेसवार्ता के दौरान संघ के जिलाध्यक्ष बादल सरदार ने कहा है कि बाहरी अफसर एक षड्यंत्र के तहत स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरी से वंचित करने की कोशिश कर रहे हैं. अन्य सभी विभागों को छोड़कर राष्ट्र निर्माण की बुनियाद माने जाने वाले शिक्षकों को ही टारगेट किया जा रहा है. अन्य सभी विभागों के कर्मियों की तुलना में शिक्षकों को ऑलराउंडर के तर्ज़ पर सभी कार्यों में लगाकर कोल्हू के बैल की तरह काम लिया जाता है। और वेतन चपरासी के समतुल्य दिए जाने की तैयारी की जा रही है. अगर वेतन घटाना ही है तो सभी विभागों के कर्मियों और विधायक, सांसद और मंत्रियों के वेतन में भी कटौती हो. इसके अलावा अपनी जिंदगी का एक लंबा समय शिक्षण कार्य में सुपुर्द करने और सारी अहर्ता रखने वाले पारा शिक्षकों के लिए समायोजन को उन्होंने पारा शिक्षकों का कर्मसिद्ध अधिकार बताया है. श्री सरदार ने आगे कहा कि किसी भी राज्य में शिक्षक नियुक्ति के लिए परीक्षा में इतनी लंबी अवधि का प्रारूप नहीं है. इतने कठिन प्रक्रिया से गुजरने के बाद भी अगर युवा सरकारी शिक्षक नहीं बनकर केवल सहायक आचार्य बनेंगे तो ये दुर्भाग्यपूर्ण है. नियुक्ति के दस साल बाद पूर्ण शिक्षक बनने के लिए तो अधिसंख्य पारा शिक्षकों की उम्र भी नहीं बची है. यह पूरी तरह से नौकरशाहों की सोची समझी साज़िश है। ताकि झारखण्ड के नौजवान सरकारी नौकरी से दूर रहें और सरकार भी इस इस पर मौन समर्थन दे रही है. इसका कड़ा प्रतिरोध होगा. अगर सरकार इस नोटिफिकेशन को नहीं बदलती है और 9300-34800 के वेतनमान को बरकरार नहीं रखती है तो भयंकर विद्रोह होगा. माटी की सरकार मानी जाने वाली हेमंत सरकार को उसी आधार पर चरित्र दिखाना होगा। अन्यथा पारा शिक्षकों के साथ ही झारखण्डी पढ़े लिखे बेरोजगार युवा एक नये उलगुलान के लिए तैयार हैं.