मागे पोरोब को परंपरागत तरीके से मनाए जाने को लेकर चलाया गया अभियान…
सरायकेला: संजय मिश्रा
सरायकेला। मागे पोरोब को मकर संक्रांति के साथ न मनाने की सामाजिक जागृति को लेकर आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा एवं नेशनल आदिवासी रिवाईवल एसोशिएसन की टीम ने सरायकेला प्रखंड अंतर्गत मुड़कुम पंचायत के नुवागोड़ा एवं बाटीडीह में अभियान चलाया। बताया गया कि सरायकेला-खरसांवाँ क्षेत्र की “हो” समाज के शत-प्रतिशत गाँव में हर साल 14-15 जनवरी के आस-पास मागे-पोरोब मनाते हैं।
“हो” समाज की परंपरा के अनुसार मागे-पोरोब के विभिन्न अनुष्ठान बोड़ोबोंजी-अनादेर, हेए सकम, ओतेइली, गौमाराः, गुरिः पोरोब, मरांग-पोरोब, जतरा-बासी पोरोब, हरमगेया जैसे त्योहारों को इस क्षेत्र में नहीं मनाया जा रहा है। जिससे समाज के लोग तथा युवा वर्ग इससे दूर जा चुके हैं और पोरोब की प्राचीन संस्कृति सीधे तौर पर लुफ्त हो चुकी है।
समाज की प्राचीन भाषा-संस्कृति और परंपरा गर्त में न चला जाए इस उद्देश्य के साथ शनिवार को आदिवासी हो समाज युवा महासभा के राष्ट्रीय महासचिव गब्बरसिंह हेम्ब्रम के नेतृत्व में सरायकेला प्रखंड के अलग-अलग जगहों पर सामाजिक जागरूकता अभियान चलाया गया। महासचिव गब्बरसिंह हेम्ब्रम ने समाज के लोगों से अपील किया कि आज लोग भाषा-संस्कृति पर विशेष पढ़ाई-लिखाई कर डिग्री भी प्राप्त कर रहे हैं।
इस पर समझ बनाने के लिए प्राचीन परंपरा, रीति-रिवाज, भाषा-संस्कृति तथा प्रकृति प्रदत्त मान्यताओं के बारे में समाज के एक-एक नागरिक को जिम्मेवार बनना होगा। मानकी-मुण्डा संघ के जिलाध्यक्ष कोल झारखंड बोदरा ने पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था मानकी-मुण्डा की शासन पद्धतियों पर प्रकाश डाला। “हो” समाज के अस्तित्व को बचाने की दिशा में संगठित समाज के निर्माण हेतु क्रांति लाने की भावना से लोगों को जोड़ा। बीच-बीच में आदिवासी हो समाज महासभा का एक घर-एक कैलेण्डर के अभियान के बारे में भी ग्रामीणों जानकारी दिया गया।
इस अवसर पर आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा के प्रदेश दियुरी सदस्य बबलू बिरूवा, लेबा गागराई, ओएबन हेम्ब्रम, मुंडा रामसिंह पुरती, पंसस बेबी सुरेन, गाँधी सुरेन, मेंजो सुरेन, अर्जुन सुरेन, नीति कालुन्डिया, राजु बानसिंह, पुटू बानसिंह, पांडु पुरती, सोमवारी गोडसोरा, शुक्रमनी संडि, पुष्पा सोय, गीतांजलि सुरेन, तुलसी सोय, चुपड पुरती, मानी सुरेन, लक्ष्मी सोय, गुंदुई बानसिंह, सुमित्रा सोय, जामदार देवगम, लुसेन संडि, टिटो सोय आदि लोग मौजूद रहे।