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छऊ कला के प्रसिद्ध बांसुरी वादक सुनील दुबे के निधन पर कला नगरी सरायकेला में शोक की लहर…

बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रसिद्ध कलाकार सुनील दुबे का निधन अपुरणीय क्षति: मनोज कुमार चौधरी…

सरायकेलाः संजय मिश्रा। सरायकेला छऊ के प्रसिद्ध बांसुरी वादक और बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे 64 वर्षीय सुनील दुबे का मंगलवार की तड़के प्रातः सरायकेला स्थित उनके आवास पर उनका निधन हो गया। देश सहित विदेश में भी छऊ कला के बांसुरी वादन सहित ढोल वादन में प्रसिद्धि हासिल कर चुके स्वर्गीय सुनील दुबे, पद्मश्री पंडित गोपाल प्रसाद दुबे के छोटे भाई थे। साथ ही गायन के क्षेत्र में उनकी विशेष रुचि के कारण सुनील दुबे प्रसिद्ध गजल गायक अनूप जलोटा के छात्र भी थे। सदैव मिलनसार और हंसमुख प्रवृत्ति के होने के कारण उनके निधन की खबर से कला नगरी सरायकेला क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी।

सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन के संरक्षक सह सरायकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने प्रसिद्ध कलाकार सुनील दुबे के निधन को सरायकेला कला जगत के लिए अपुरणीय छति बताया है। उन्होंने कहा है कि सुनील दुबे और उनके परिवार से मेरा काफी मधुर और आत्मीय संबंध रहा है. छऊ कलाकारों की बेहतरी के लिए लम्बे समय से जुड़े हमारे छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन के संघर्ष को मुखरता के साथ रखने वाले हमारे साथी रहे वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। आज उनका इस तरह हम सबको छोड़कर चले गए काफी दुखद घटना है. स्वर्गीय दुबे सरायकेला के एक बहुप्रतिभा के धनी उम्दा कलाकार थे। मैं भी उनकी प्रतिभा का कायल था। सरायकेला छऊ हो चाहे संगीत हर क्षेत्र में परचम लहराया।

उन्हें ऑल इंडिया रेडियो द्वारा ए ग्रेड की उपाधि भी मिली थी। और भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय द्वारा उन्हें सीनियर फैलोशिप का भी सम्मान प्राप्त हुआ था। और साथ ही साथ शास्त्रीय संगीत में उन्होंने महारत हासिल की थी और सरायकेला छऊ संगीत के लिए और नृत्य के लिए उनका असमय निधन से हुआ रिक्त स्थान अपुरणीय छति है। उन्होंने महाप्रभु जगन्नाथ से प्रार्थना की है कि उनकी पुण्य आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। एवं शोक संतृप्त परिवार को इस भारी पीड़ा को सहने की शक्ति दे।

सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन उन्हें नमन करता है।

सरायकेला के युवा छऊ कलाकार सीनियर फेलोशिप अवार्डी रजतेंदु रथ ने भी सुनील दुबे के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है। उन्होंने कहा है कि सरायकेला की छऊ कला की माटी ने अपना एक अनमोल कलाकार खो दिया है। जिसकी भरपाई भी निकट भविष्य में संभव नहीं है।

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