सरायकेला। जिले में आत्महत्या करने का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी क्रम में बीते सोमवार की देर रात रोड डिवीजन आरसीडी के कनीय अभियंता 50 वर्षीय श्यामसुंदर प्रसाद ने रह रहे अपने किराए के मकान में पंखे के सहारे झूलकर खुदकुशी कर ली।
सरायकेला नगर पंचायत के वार्ड संख्या 8 स्थित न्यू कॉलोनी के पशुपालन कार्यालय के समीप किराए के मकान में रहते हुए की उक्त खुदकुशी के संबंध में बताया जा रहा है कि मृतक श्याम सुंदर प्रतिदिन मॉर्निंग वॉक के लिए प्रातः 6:30 तक अपने कमरे से निकल जाते थे। मंगलवार की सुबह लगभग 7:30 बजे तक दरवाजा नहीं खुलने से उनके मकान मालिक ने संदेह करते हुए इसकी तुरंत सूचना सरायकेला थाने को दी।
जिसके बाद तकरीबन 8:00 बजे सरायकेला पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर कमरे के पीछे की खिड़की का ग्रिल काटकर अंदर प्रवेश किए। तो कनीय अभियंता श्याम सुंदर को पंखे के सहारे झूलते हुए पाया गया। साथ ही बेड के समीप एक सुसाइड नोट भी लिखा हुआ मिला। जिसमें उन्होंने अपने मोबाइल लॉक को अनलॉक करने का पैटर्न भी जारी करते हुए आत्महत्या के कारण को स्वास्थ्य समस्या बताया है।
घटना को देखते हुए पुलिस द्वारा जांच के क्रम में पूरे कमरे की वीडियोग्राफी कराई गई। मौके पर विभाग के कार्यपालक अभियंता गणेश राम हेंब्रम द्वारा बताया गया कि श्याम सुंदर 1995 के बैच के थे। और वर्ष 2019 से सरायकेला में पदस्थापित थे। घटना के बाद मृतक श्याम सुंदर के परिजनों को सूचना दी गई। मंगलवार की शाम परिजनों के पहुंचने के बाद शव का पोस्टमार्टम कराते हुए परिजनों को मृतक श्याम सुंदर का शव सौंप दिया गया।
मृतक श्याम सुंदर मूल रूप से पलामू जिला के बिश्रामपुर अंतर्गत तीसीबागकला के रहने वाले थे। और वर्तमान में हजारीबाग में अपना घर बना कर सपरिवार रह रहे थे। उनके पीछे उनकी पत्नी सहित एक बेटा और एक बेटी हैं। बहरहाल सरायकेला पुलिस इस संबंध में मामला दर्ज कर सभी बिंदुओं पर छानबीन कर रही है।
मिले सुसाइड नोट में लिखा है:-
जय पुरुषोत्तम जय सद्गुरु;
करीब 2 वर्षों से स्वास्थ्य साथ नहीं दे रहा है। डे बाई डे खराब ही होता जा रहा है। कोई दवा कारगर साबित नहीं हो रही है। शरीर काफी कमजोर हो गया है। नित्य दैनिक कार्यकलाप में भी दिक्कत आ रही है। कुछ दिनों से माथा में दर्द बेहद रहा है। सर्दी खांसी भी रह रहा है। सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही है। एवं दिनोंदिन समस्या बढ़ रही है। शरीर बिल्कुल साथ नहीं दे रहा है। मानसिक अवस्था भी खराब होती जा रही है। घर परिवार को संभालना मुश्किल हो रहा है। एवं मैं बोझ बनता जा रहा हूं। ऐसी स्थिति में कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है। इसके लिए कोई दोषी नहीं है। असमर्थता के कारण इस शरीर के साथ चलना संभव नहीं लग रहा है।…….. मैं अनीता से क्षमा मांगता हूं कि मैं आपका इतना ही साथ दे पा रहा हूं। बेटा बेटी आप खूब पढ़ लिखकर जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे। एटीएम एवं ₹12500 लगभग स्टील मिल्क कैन में रखा है। घड़ी भी वही है।