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ग्रामीणों की समस्याओं का नहीं हुआ समाधान, पत्थर क्रशर संचालक का नहीं रहना बनीं वजह, क्रशर बंद रखने का एलान

 

सरायकेला (संजय मिश्रा) सरायकेेला थाना क्षेत्र के पठानमारा पंचायत के छोटा टंगरानी गांव के निकट स्थित पत्थर क्रशर मशीन संचालक पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को अगल बगल चार पांच गांवों से ग्रामीण महिला एवं पुरुष काफी संख्या में एकत्रित हुए। ग्रामीणों द्वारा मुखिया खुशबू रानी होनहागा, पूर्व मुखिया संजय होनहागा, छोटा टंगरानी ग्राम प्रधान अधीर कुम्भकार, वार्ड सदस्य प्रीतम सिंह(पीके)सहित पंचायत के अन्य प्रतिनिधियों एवं ग्राम प्रधानों को भी बुलाया गया था। ताकि सभी की मौजूदगी में क्रशर संचालन से उत्पन्न समस्याओं का उचित समाधान निकाला जा सके। क्रशर स्थल पर संचालक एवं प्रबंधक नहीं थे। सुरक्षा एवं अन्य कार्य हेतु नियुक्त कर्मियों से उन्हें बुलाने को कहा गया। लगभग तीन घण्टे तक क्रशर संचालक या उनके द्वारा भेजे कोई सक्षम प्रतिनिधि के नहीं आने से मामला जहां के तहां अटक गया। आक्रोशित ग्रामीणों ने क्रशर के अंदर जाने वाली सड़क को पत्थर डाल कर अवरुद्ध कर दिया। साथ ही सर्वसहमति से यह निर्णय लिया गया कि सभी प्रभावित ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों के उपस्थिति में क्रशर संचालक का वार्ता होगा। समस्याओं के समाधान के लिए वे भी सार्वजनिक रूप से जानकारी देंगे उसके बाद ही क्रशर चलने दिया जाएगा।

उपस्थित पंचायत प्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों के अनुसार क्रशर स्थापित स्थल के निकट स्कूल एवं मुख्य सड़क है।क्रशर से उड़ती धूलों के कारण उत्पन्न समस्या का समाधान चारदीवारी या मशीन के पास पानी स्प्रे कर किया जाय। क्रशर के निकट स्थित दो पूजा स्थल एवं एक श्मशान के साथ छेड़ छाड़ नहीं किया जाय। पत्थर जहां खनन किया जा रहा है वहां बड़े बड़े खतरनाक तलाबनुमा गढ्ढे बन रहे हैं। ऐसे गड्ढों को भरा जाय या अगल बगल रास्ता बना दिया जाय ताकि वहां गिरने पर मवेशी या मनुष्य निकल कर जान बचा सकें। ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या डायनामाईट उपयोग को लेकर है। इनका कहना है कि चट्टानी क्षेत्र होने के कारण विष्फोट किये जाने पर अगल बगल के चार पांच गांव में भूकम्प जैसा स्थिति उत्पन्न हो जाता है। नियमित डायनामाइट उपयोग होने से स्कूल एवं निजी घरों के दीवाल दरकने का डर हमेशा बना रहेगा। अगल बगल खेतों पर क्रशर के उड़ते एवं पानी मे बह कर आये डस्ट पर रोक लगाने की भी इनकी मांग है।

ग्रामीणों की समस्याओं के साथ हो रही है राजनीति:-
क्रेशर का संचालन पिछले कई सालों से यहां हो रही है और इस दौरान स्थानीय समस्याओं को लेकर ग्रामीणों की आवाज भी लगातार उठ रही है, परंतु उनके समस्याओं पर राजनीति हावी हो रही है । बताया जा रहा है कि आंदोलन का नेतृत्व करता वर्ग एवं क्रेशर संचालक किसी खास राजनीतिक पार्टी से हैं ,जिसके कारण ग्रामीणों का आंदोलन जोर नहीं पकड़ पा रही है। कुछ प्रतिनिधि ग्रामीण और क्रेशर संचालक के बीच असमंजस की स्थिति में हैं।

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