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एसबीयू में टॉक सीरीज का हुआ आयोजन

राँची। सरला बिरला विश्वविद्यालय में सुपर सैटरडे फैकल्टी एंपावरमेंट टॉक सीरीज (भाग-3) के अंतर्गत आज मशहूर खाद्य और पोषण विशेषज्ञ डॉ. खादर वली का व्याख्यान हुआ। ‘विनिंग हेल्थ बैक टू मिलेट फूड’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने भोजन में मिलाए जाने वाले रसायनों और मिलावट के कारण हो रहे हार्मोनल असंतुलन पर अपना वक्तव्य रखा। उन्होंने मिलेट्स (अनाज) और अन्य खाद्यान्न जैसे चावल, गेहूं आदि के बारे में बताया। आज की कॉरपोरेट फूड संस्कृति और तथाकथित हरित क्रांति पर सवाल उठाते हुए उन्होंने इस संदर्भ में विरोध के कम उठते स्वर पर भी आश्चर्य व्यक्त किया।

डॉ. वली ने रासायनिक और मिलावटी खाद्यान्नों के कारण हमारे शरीर में हो रहे आंतरिक और वाह्य परिवर्तनों और रक्त की संरचना में बदलावों की बात की। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसकी वजह से आधुनिक दौर में हमें बड़ी तादाद में उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, थायरॉइड, कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां देखने को मिल रही हैं। प्रत्येक दिन के अशुद्ध भोजन से शरीर और रक्त में लगातार आने वाला कार्बन डाइऑक्साइड
धीरे-धीरे कई प्रकार की बीमारियों का कारण बन रहा है। आज वैज्ञानिक तरीके से खाद्यान्न लेने से हमारा भोजन खतरनाक बन रहा है और इससे कम उम्र के युवा भी प्रभावित हो रहे हैं। वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर मिलेट्स का विशेष तौर पर उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि  ये हमारे रक्त में किसी तरह का विषैला रसायन नहीं छोड़ते और हमारे शरीर का प्राकृतिक तरीके से डिटॉक्सिफिकेशन करते हैं। मिलेट्स में शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाने की पूरी वैज्ञानिक प्रणाली होती है। मिलेट्स भविष्य का भोजन है और हमारे पूर्वज इस ज्ञान को जानते थे।
उन्होंने उपस्थित श्रोताओं से अपने जीवन शैली को बदलने और साथ ही आहार में बदलाव लाने की अपील भी की। कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तर सत्र भी हुआ, जिसमें शिक्षकों ने डॉ. वली से सवाल पूछे। विवि के  कुलपति प्रो सी जगनाथन और  महानिदेशक प्रो गोपाल पाठक ने सत्र के विषय में बोलते हुए इसे उपयोगी करार दिया और डॉ. वली से बेहतर जीवन शैली से संबंधित सवाल भी पूछे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आरोही आनंद ने किया। इस अवसर पर विवि के शिक्षकगण और शिक्षकेत्तर कर्मचारी भी उपस्थित रहे। एसबीयू के प्रतिकुलाधिपति  बिजय कुमार दलान और राज्यसभा सांसद डॉ प्रदीप कुमार वर्मा ने इस कार्यक्रम के आयोजन पर अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की है।
’मिलेट मैन’ के नाम से मशहूर खाद्य और पोषण विशेषज्ञ डा. खादर वली पिछले ढाई दशकों से भी ज्यादा समय से देश के लोगों को मोटे अनाज को अपने आहार में शामिल करने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। वे बाजरे की प्रजातियों से निर्मित श्रीधान्य को कई गंभीर बीमारियों के ईलाज का विकल्प मानते हैं। इसे लेकर उन्होंने देश-विदेश में बड़े पैमाने पर जागरुकता कार्यक्रम चलाया है। मैसूर के केंद्रीय खाद्य  प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिक रहे डा. वली विदेशों में भी काफी समय तक रहे। लेकिन अंततः देश में स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए उन्होंने भारत में ही रहने का फैसला किया। प्रकृति संरक्षण के बारे में बेबाकी से अपने विचार रखने वाले डा. वली बाजरे को ग्लोबल वाॅर्मिंग कम करने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मददगार मानते हैं। उनका मानना है कि अगर भारत में सकारात्मक तरीके से खेती की जाये, तो आनेवाले पचास वर्षों के भीतर देश को सूखे की समस्या से पूरी तरह से निजात मिल सकेगा। वर्ष 2023 में भारत सरकार ने उनको पद्मश्री से सम्मानित किया।

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