अनुग्रह नारायण प्लस टू उच्च विद्यालय पिलीद के प्रभारी प्रधानाध्यापिका मिताली की लाखों की अवैध वसूली मामले की हुई जांच, विद्यार्थियों अभिभावकों एवं शिक्षकों ने अवैध वसूली की खोली पोल….
शिक्षा के मंदिर में निकला पुजारी चोर, मामला अनुग्रह नारायण प्लस टू उच्च विद्यालय पिलीद के प्रभारी प्रधानाध्यापिका मिताली की नामांकन और अन्य मामले में लाखों रूपये की अवैध वसूली और निकासी की हुई जांच सही साबित…
रांची डेस्क (सुदेश कुमार) कहते है शिक्षा के मंदिर में छात्रों को शिक्षा के साथ बौद्धिक विकास पर जोर दिया जाता है और भष्ट्र और भष्ट्राचार से दुर रहने की शिक्षा दी जाती है । पर झारखंड के वातावरण दुषित होता जा रहा है । राज्य के हर विभाग जहां भष्ट्राचार से लिप्त है वही कितने दिन शिक्षा विभाग भी भष्ट्राचार से दुर रह सकता है ?
मामला ईचागढ़ प्रखंड के अनुग्रह नारायण +2 उच्च विद्यालय पिलीद के प्रभारी प्रधानाचार्या पीछले 2 सालों से मनमानी,अनैतिक कार्यशैली, लाखों की वसूली एवं विभागीय रुपये की गवन का आरोप अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के अध्यक्ष राकेश रंजन ने गंभीर आरोप लगाया । साथ ही उपायुक्त सरायकेला खरसावां को 10 बिंदुओं के तथ्यों के साथ एक ज्ञापन सौंपा था। एक प्रतिलिपि जिला शिक्षा पदाधिकारी, सरायकेला खरसावां को भी दिया गया। राकेश रंजन के लिखित शिकायत पर उपायुक्त पहल करते हुये एक जांच टीम का गठन किया गया । जांच टीम में गम्हारिया के क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी अंबुजा राज लक्ष्मी एवं बीईओ सरायकेला ने उ0उ0 विद्यालय पिलीद +2 का शनिवार को देर शाम तक जांच किया।
वही विस्थापित नेता राकेश रंजन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुये बताया की मेरे द्वारा लिखित शिकायत और सबूतों के आधार पर विद्यालय में जांच टीम पहुंची और छा़त्रों अभिभावकों और शिक्षकों से पुछताछ किया गया । पुछताछ के दौरान में जांच टीम को प्रधानाचार्य के द्वारा सरकार के द्वारा निर्धारित नामांकन शुल्क को बदल छात्रों से अवैध वसूली कारने का आरोप लगाया गया था । जिसमें 9 वीं और 11 वीं छात्र के नामांकन में एसटी-एससी के लिए 350 रूपये और जेनरल -ओबीसी के लिए 400 रूपये बिना रसीद की वसूली की गई थी । जिसका प्रमाण राकेश रंजन ने सूची के साथ उपायुक्त को सौपा गया । वही राकेश रंजन ने बताया की विद्यालय के परिसर में आयोजित कार्यक्रम में छात्रों से वसूली की जाती थी । परन्तु उक्त राशि का खर्च नहीं किया जाता था । विद्यालय प्रमाण पत्र एवं बोर्ड के द्वारा जारी प्रमाण पत्र के निर्गत में छात्रों से अवैध उगाही की जा रही थी । विद्यालय के इन कार्यो के लिए विद्यालय के शिक्षकों कर्मचारी और लिपिक आदेशपाल तक को शामिल नहीं किया गया था ।
वही राकेश रंजन ने बताय की विद्यालय के बैंक खाते की जांचोपरांत देखा गया की छात्रों द्वारा देय राशि खाते में अबतक जमा नहीं किया गया । वहीं प्रभारी प्रधानाचार्या पर विद्यालय के एग्रीकल्चर एवं इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर जैसे वोकेशनल कोर्स के छात्र-छात्राओं के लिए इंडस्ट्रियल विजिट्स के लिए आये हुए ₹100000 (एक लाख) का वास्तविक खर्च नहीं किया गया । वहीं बताया की जानकारी के अनुसार एक बार एग्रीकल्चर विजिट के नाम पर रांची कृषि अनुसंधान केंद्र और इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर के विजिट के लिए विद्यार्थियों को दो टेंपू द्वारा रुगड़ी स्थित इलेक्ट्रॉनिक ग्रिड का भिजिट करवाया गया था । इसके लिए खर्च मात्र ₹1500 (पंद्रह सौ रुपए) हुए। जांच के समय पता चला कि इसका वास्तविक खर्च₹12000 दर्शाया गया। वोकेशनल कोर्स एग्रीकल्चर एवं इलेक्ट्रॉनिक्स एंड हार्डवेयर के विद्यार्थियों के लिए किताब खरीदने हेतु 60,000 + 60,000 = 1,20,000 (एक लाख बीस हजार रूपए) की निकासी की गई ।किताब के नाम पर फोटो कॉपी देकर राशि का गमन कर लिया गया ।
वही 9वी और 11वी के छात्रों से प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर प्रत्येक विषय में 30 रूपये और 12 वीं से 50 रूपाये की राशि की अवैध वसूली की गई । वही बताया कि प्रत्येक महीने का 25 तारीख को प्रबंधन समिति एवं पिटीएम मीटिंग बुलाना सुनिश्चित है। परंतु पिछले 1 साल से विद्यालय में यह मीटिंग कभी नहीं बुलाई गई, । शिक्षक व शिक्षिकाओं द्वारा अनैतिक कार्यों का विरोध करने पर बॉन्ड-पत्र लिखवाया जाना जा अनैतिक है ।, जांच के दौरान भूक्तभोगी एक शिक्षिका ने प्रभारी प्रधानाचार्या कीे पोल खोल दी ।
वही जांच टीम ने 10 विन्दुओं की जांच किया और मामले की जांच में लेगें आरोपों को विन्दुवार लिखकर मंगलवार को जिला शिक्षा पदाधिकारी, सरायकेला-खरसावां को सौंपने की उम्मीद है औरं सरायकेला खरसावां के उपायुक्त मामले का अंतिम निर्णय लेंगे। वही अभिभावकों और विस्थापित नेता राकेश रंजन का कहना है कि जांच टीमों द्वारा प्राप्त की गई तथ्यों को यथाशीघ्र उपायुक्त को सौंपा जाए ।
वही पूरे मामले की जांच के सबंध में जानकारी लेने ने का प्रयास गम्हारिया के क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी अंबुजा राज लक्ष्मी को फोन किया गया । परन्तु समय का अभाव बताते हुआ फोन को काट दिया गया । खबर लिखे जाने तक उनसे सर्म्पक नही हो सका ।