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मंथरा को उचित सम्मान नहीं मिलने के कारण ही कैकई को पति वियोग, पुत्र त्याग एवं वैधव्य का सामना करना पड़ा था। वही किसी भी संस्थान का स्थापना दिवस उसके अतीत का लेखा-जोखा एवं भविष्य की योजनाओं को संकल्पित करता है।

सरला बिरला विश्वविद्यालय का छठवां स्थापना दिवस समारोह धूमधाम से सम्पन्न…

नामकुम (अर्जुन कुमार)

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सरला बिरला विश्वविद्यालय का छठवां स्थापना दिवस समारोह विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति सीए बिजय कुमार दालान, कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक, मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी डॉ प्रदीप वर्मा, कुलसचिव प्रो विजय कुमार सिंह आदि के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्जलित कर बीके बिरला ऑडिटोरियम में संपन्न हुआ।

मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति सह भारत आरोग्य एवं ज्ञान मंदिर ट्रस्ट, कोलकाता के सचिव बिजय कुमार दालान ने विश्वविद्यालय निर्माण के हेतु, विकास यात्रा, शैक्षिक व प्रशासनिक प्रगति की विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि सरला बिरला विश्वविद्यालय बिरला परिवार द्वारा स्थापित गुणवत्ता के सभी मानकों के अनुरूप आधारभूत संरचना, शिक्षा, शोध, नवाचार के साथ-साथ रोजगार उपलब्ध कराने के दिशा में लगातार प्रयत्नशील है। सरला बिरला विश्वविद्यालय महज कुछ ही समय में राष्ट्रीय मानक के अनुरूप अपने आप को स्थापित करते हुए विश्व के कई नामचीन विश्वविद्यालय के साथ आपसी समझौते करने में कामयाब हुआ है जिसका फायदा हमारे छात्रों को मिलेगा।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक ने विश्वविद्यालय के छठवें स्थापना दिवस पर समस्त कर्मचारियों, पदाधिकारियों तथा प्राध्यापकों के अनवरत मेहनत एवं लगन को विवि की सफलता का आधार माना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ चरित्र निर्माण पर बल देना हमारा उद्देश्य है, क्योंकि सिर्फ डिग्री ही नहीं बल्कि चरित्र भी हमारी पहचान है। उन्होंने अनुशासन को सबसे बड़ी ताकत बताते हुए छात्रों से शत प्रतिशत कक्षा में भाग लेने के लिए न केवल प्रोत्साहित किया बल्कि कक्षा में शत प्रतिशत उपस्थित होने वाले छात्रों को मेडल एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया । उन्होंने छात्रों एवं अध्यापकों सहित सभी को व्यवस्थित जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा प्रदान की।

विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी डॉ प्रदीप वर्मा ने विश्वविद्यालय के छः वर्ष पूरे होने पर शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए पूर्ण मनुष्य की भारतीय परिकल्पना पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि मन, बुद्धि और आत्मा का संतुलित समन्वय ही पूर्ण मानव व्यक्तित्व का निर्माण कर सकता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन मे केवल रोटी, कपड़ा और मकान ही हमारा लक्ष्य नहीं होना चाहिए बल्कि दूसरों के प्रति सम्मान का भावना होना भी आवश्यक है। उन्होंने कैकई और मंथरा की कहानी की चर्चा करते हुए कहा कि मंथरा को उचित सम्मान नहीं मिलने के कारण ही कैकई को पति वियोग, पुत्र त्याग एवं वैधव्य का सामना करना पड़ा था।

मानविकी एवं भाषा विज्ञान संकाय की संकायाध्यक्ष प्रोफेसर नीलिमा पाठक ने कहा कि किसी भी संस्थान का स्थापना दिवस उसके अतीत का लेखा-जोखा एवं भविष्य की योजनाओं को संकल्पित करता है। उन्होंने कहा कि अपने गौरवपूर्ण आचरण से हम अपने संस्थान के गौरव को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि छात्र जीवन अनंत संभावनाओं से भरा है। छात्र जीवन में व्यापक दृष्टिकोण व राष्ट्र निर्माण का आधार बनने का लक्ष्य होनी चाहिए।

कार्यक्रम मे विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफ़ेसर विजय कुमार सिंह ने कहा कि डॉ सरला देवी बिरला जी की कल्पना थी कि एक ही छत के नीचे केजी टू पीजी तक की पढ़ाई हो और आज उनका वह सपना साकार हो रहा है। स्थापना दिवस समारोह में छात्र-छात्राओं के द्वारा विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए साथ ही साथ योगा डिपार्टमेंट के द्वारा साहसिक योग प्रदर्शन ने सभी का मन मोह लिया।

विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति, कुलपति एवं मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी द्वारा अंतिम वर्ष के टॉपर्स को गोल्ड मेडल एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया साथ ही साथ करेंट बैच के शत प्रतिशत कक्षाओं को अटेंड करने वाले छात्रों को मेडल एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। मंच पर सामूहिक कर्मा नृत्य का प्रर्दशन करते हुए कर्मा पर्व की शुभकामनाएं प्रेषित की गई।

स्थापना दिवस के अवसर पर प्रतिकुलाधिपति श्री बिजय कुमार दालान ने विश्वविद्यालय परिसर में नीम का वृक्ष लगाकर विश्वविद्यालय के उत्तरोत्तर विकास की कामना की।
कार्यक्रम का संचालन डॉ आरोही आनंद ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डीएसडब्ल्यू डॉ अशोक कुमार अस्थाना के द्वारा किया गया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक, कुलसचिव प्रोफ़ेसर विजय कुमार सिंह, उप कुलसचिव प्रो अमित गुप्ता, चीफ़ फाइनेंस ऑफिसर श्री सतीश कुमार, मैनेजर पी एंड ए श्री अजय कुमार, पीएओ श्री प्रवीण कुमार, प्रो नीलिमा पाठक, डॉ संदीप कुमार, प्रो श्रीधर बी दंडीन, डॉ सुबानी बारा, श्री हरी बाबू शुक्ला , डॉ शैलेश नारायण, डॉ आरके सिंह, श्री नरहरि दास, प्रो राहुल वत्स, डॉ अशोक कुमार अस्थाना, डॉ राधा माधव झा, डॉ विश्वरूप सामान्ता, डॉ पार्थ पाल, डॉ अभिषेक चौहान, डॉ पूजा मिश्रा, डॉ रिया मुखर्जी, प्रो आदित्य विक्रम वर्मा, डॉ भारद्वाज शुक्ला, डॉ दीपक प्रसाद, डॉ मनोज पांडे, श्री अनुभव अंकित, श्री सुभाष नारायण शाहदेव, श्री राहुल रंजन, श्री आदित्य रंजन, उत्सव उमंग, आशीष इत्यादि सहित विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारी, प्राध्यापक एवं काफी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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