जिले से अगवा दो भाईयों सहित तीन बालक वापस लौटे मां के साथ गुजरात के राजकोट चले गये थे दोनों भाई सीडब्ल्यूसी के हस्तक्षेप से दोनों मामलों में दर्ज हुआ था एफआईआर…
मौसम गुप्ता दुमका:
दुमका। दुमका जिले के दो अलग-अलग थाना क्षेत्रों से अगवा दो भाईयों सहित तीन बालक लौट आये हैं। तीनों बालकों को बुधवार को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष प्रस्तुत किया गया। चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, कुमारी बिजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने दोनों मामलों की सुनवायी करते हुए बालकों एवं उनके अभिभावकों का बयान दर्ज किया और बालकों के सर्वोत्तम हित में उन्हें अभिभावकों के साथ उनके घर भेज दिया।
दोनों ही मामलों में पुलिस एफआईआर करने के लिए भी तैयार नहीं थी। सीडब्ल्यूसी के हस्तक्षेप के बाद तालझारी और सरैयाहाट में बच्चों के अपहरण का मामला दर्ज किया गया था। तालझारी थाना क्षेत्र के एक किराना दुकानदार में काम करने वाले ने अपने 9 व 7 साल के दो बच्चों एवं उनकी मां को बाइक में बिठाकर अगवा करने को लेकर गांव एक व्यक्ति समेत तीन के खिलाफ भादवि की धारा 363 के तहत प्राथमिकी दर्ज करवायी थी। दोनों बच्चों ने अपने बयान में बताया कि एक व्यक्ति उन्हें बाइक पर बैठा कर ले गया था। 04 जनवरी को मां दोनों को लेकर भागलपुर गयी। उनका एक रिश्तेदार उन तीनों को हावड़ा के रास्ते पहले गुजरात के सुरत और फिर राजकोट ले गया। तीनों चार दिनों तक राजकोट में रहे।
अपराधी के मां के कहने पर उनका रिश्तेदार उन्हें लेकर दुमका आ गया। यहां वह भाड़ा के घर में रहे फिर 16 जनवरी को मां के साथ तालझारी चले गये। पिता ने अपने बयान में बताया कि 16 जनवरी को उसे पत्नी और बच्चों के तालझारी थाना में होने की सूचना मिली। बुधवार को उसकी पत्नी और दोनों बच्चों का कोर्ट में बयान दर्ज किया गया। वह अपनी पत्नी और बच्चों को अपने साथ रखना चाहता है। वह उनकी अच्छी तरह से देखभाल और निगरानी रखेगा। समिति ने दोनों बच्चों को उनके पिता के हवाले कर दिया। केश के अनुसंधान कर्ता ने बताया कि इस मामले में अबतक अभियुक्तों की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
अयोध्या व वृंदावन घुमकर पांच माह बाद लौटा बालक
दुमका। सरैयाहाट थाना क्षेत्र का 15 वर्षीय बालक 16 अगस्त 2023 से लापता था। पांच माह बाद वह घर लौट आया है। इस दौरान वह कानपुर, दिल्ली, पंजाब, अयोध्या और बृंदावन में घुमता रहा। बुधवार को दादा ने इस बालक को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया। बालक ने अपने बयान में बताया कि स्कूल नहीं जाने के कारण मां ने उसे डांटा था जिसपर वह घर से दो हजार रुपये लेकर हंसडीहा और फिर वहां से भागलपुर चला गया। भागलपुर से वह कानपुर चला गया।
वहां एक दिन रूकने के बाद दूसरे दिन दिल्ली चला गया। दिल्ली से वह पंजाब चले गया और वहां एक पावभाजी दुकान में प्याज व मिर्चा काटने का काम करने लगा। उसे 10 हजार रुपये महिना मिलता था। तीन माह में उसे 30 हजार रुपये मिले। फिर व पंजाब से अयोध्या चला गया। वहां दो दिनों तक घुमने के बाद वृंदावन चला गया। इसके बाद वह वापस भागलपुर के रास्ते 15 जनवरी 2024 को अपने घर लौट गया।
समिति ने बालक को उसके दादा के हवाले करते हुए उसकी पढ़ाई जारी रखने का निर्देश दिया है। चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि अपहरण का यह मामला अज्ञात के खिलाफ दर्ज किया गया था। केस के अनुसंधानकर्ता ने यदि ठीक से अनुसंधान किया होता या सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा एक मामले में दिये गये दिशा निर्देश और बनाये गये एसओपी का अनुपालन किया होता तो यह बालक काफी पहले अपने घर पहुंच गया होता।