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सरायकेला ( संजय मिश्रा) भारतीय धर्म शास्त्रों में किसी भी घर में पूजा स्थान के बाद सबसे पवित्र स्थल रसोई घर को दिया गया है। जहां विशुद्ध भोजन के लिए मां अन्नपूर्णा के निवास के साथ-साथ शारीरिक स्वस्थता एवं तंदुरुस्ती के लिए भारतीय मसाले होते हैं। प्राचीन काल से ही भारत भूमि पर उपजे भारतीय मसालों की मांग देश सहित विदेशों में भी रही है। परंतु समय के साथ साथ कंपनियां, ब्रांडिंग और पैकेजिंग मसालों ने भारतीय मूल मसालों की प्योरिटी को कहीं ना कहीं स्वाद और स्वास्थ्य की दृष्टि से कम करने का प्रयास किया है। यही कारण है कि आज घर का पवित्र स्थल रसोईघर अब किचन बन गया है। और लोग अपनी किचन के लिए मसालों की खरीददारी शुद्धता और स्वास्थ्य देखकर नहीं बल्कि कंपनी और ब्रांड का ऐड देखकर करने लगे हैं। जिसका परिणाम भी बताया जाता है कि आजकल के बच्चों में भी मुख्य रूप से गैस्ट्रिक और कॉन्स्टिपेशन जैसी समस्या सहित अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी देखी जा रही है।

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इसी बीच सरकारों के प्रयास से मेक इन इंडिया, लोकल फॉर वोकल और आत्मनिर्भर भारत जैसी कई कार्यक्रम भारत भूमि के मूल प्रकृति को सामने लाने के लिए किया जा रहा है। इसी के तहत सरायकेला खरसावां जिले में कुचाई सिल्क के लिए विश्व प्रसिद्ध खरसावां-कुचाई का क्षेत्र एक बार फिर से हल्दी की देसी उपज के लिए सुर्ख़ियों में सामने आया है। जहां वर्षों से स्थानीय किसान पहाड़ी दुर्गम क्षेत्रों में किसी रासायनिक खाद का इस्तेमाल किए हल्दी की खेती अपने जीविकोपार्जन के लिए करते रहे हैं। जिसका बाजार स्थानीय बाजारों में पोईला ( मापने का एक देसी पात्र) और खेजा ( देसी मात्रा) के रूप में हल्दी पाउडर और गोटा हल्दी की तरह रहा है। स्थानीय बाजारों में सड़क पर बिकते खरसावां-कुचाई की देसी हल्दी पर अब प्रशासन और सरकार की सकारात्मक नजर पड़ी है।

जिसके तहत बीते दिनों जेएसएलपीएस ने खरसावां के खेलारीसाई में जेएसएलपीएस द्वारा 35 महिलाओं के समूह के सखी मंडल को हल्दी की पिसाई और प्रोसेसिंग के लिए मशीन भी उपलब्ध कराया गया। इसके साथ ही खरसावां के हुड़ागंदा सहित रीडिंग पंचायत के विभिन्न गांवों और कुचाई के गोमियाडीह पंचायत की विभिन्न गांव में भी सखी मंडल की महिलाओं के माध्यम से हल्दी की प्रोसेसिंग और रोजगार विकास की योजना पर कार्य किया जा रहा है। जिसे जेएसएलपीएस के जिले के गम्हरिया सहित राज्य के सभी जिलों में स्थापित पलाश के आउटलेट में खरसावां-कुचाई के देसी हल्दी बेचे जाने की योजना है।
इसी क्रम में भारत सरकार के जनजातीय मंत्रालय के मंत्री सह स्थानीय सांसद अर्जुन मुंडा की पहल पर मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संस्था ट्राईफेड द्वारा खरसावां के अंतिम सीमा की पहाड़ियों की तलहटी में स्थित रायजेमा गांव में इसके प्रयास व्यापक स्तर पर शुरू किया गया है। जिसमें किसानों को एकजुट कर देसी हल्दी उत्पाद की प्रोसेसिंग कराई जा रही है। और पैकेजिंग मैटेरियल के साथ-साथ पैकिंग मशीन भी उपलब्ध कराई गई है। इसके साथ ही रांची के सरकारी फूड लैबोरेट्री में उत्पादित हल्दी की रासायनिक जांच भी कराई गई। जिसमें खरसावां-कुचाई से उत्पादित देसी हल्दी की गुणवत्ता बाजार में मिलने वाले सामान्य हल्दी की अपेक्षा काफी बेहतर और स्वास्थ्यवर्धक पाया गया है। जिसके अनुसार आमतौर पर मिलने वाले हल्दी में 2% के आसपास करक्यूमिन की मात्रा होती है। परंतु खरसावां-कुचाई के हल्दी में करक्यूमिन की मात्रा 7% से अधिक पाई गई है।

जानकार बताते हैं कि हल्दी का सक्रिय तत्व करक्यूमिन ह्रदय रोग से सुरक्षा करने के साथ-साथ दर्द में भी आराम दिलाता है। इंसुलिन का लेवल बनाए रखते हुए डायबिटीज में भी यह काफी लाभकारी होता है। जो एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट भी है। और वर्तमान में चल रहे कोरोना कहर में आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा सुझाए गए गोल्डन मिल्क प्रोसेस के माध्यम से यह कोरोना के संक्रमण से सुरक्षा के लिए बेहतर इम्यूनिटी बढ़ाने वाला बताया जा रहा है।
ट्राईफेड द्वारा खरसावां-कुचाई की देसी हल्दी को देश सहित विदेशों में भी बाजार उपलब्ध कराए जाने की तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही हल्दी की खेती और प्रोसेसिंग से जुड़ रहे ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ बेहतर रोजगार और व्यवसाय उपलब्ध कराने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि स्थानीय बाजारों में सड़कों पर दुकान लगाकर ग्रामीणों द्वारा ₹80 प्रति पोईला हल्दी बेचा जाता था। जबकि ट्राईफेड के सहयोग से प्रोसेसिंग के बाद एक सौ ग्राम से लेकर 700 ग्राम तक के हल्दी के पैकेट तैयार किए जा रहे हैं। जिसकी कीमत भी एक सौ ग्राम पैकेट की ₹35, 250 ग्राम पैकेट की ₹80, 500 ग्राम पैकेट की ₹145 और 700 ग्राम पैकेट किए ₹190 निर्धारित की गई है। जिसे जल्द ही ट्राईफेड के आउटलेट में उपलब्ध कराए जाने की तैयारी है। इसके साथ ही देसी हल्दी की खेती से जुड़े किसानों और प्रोसेसिंग से जुड़ रहे ग्रामीणों में लंबे इंतजार के बाद एक बड़ा और अच्छा प्लेटफार्म मिलने पर इसे लेकर काफी हर्ष भी देखा जा रहा है।

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