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कुचाई के रामडीह में आप द्वारा मनायी गयी मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की 121वीं जयंती…

सरायकेला संजय मिश्रा:

जयपाल सिंह मुंडा के सपनों का झारखंड बनना बाकी है अभी भी: बिरसा सोय।

सरायकेला: आम आदमी पार्टी नेता बिरसा सोय के नेतृत्व में कुचाई के सुदूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्र रुगुडीह के रामडीह गांव में मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की 121वीं जयंती मनाई गई. इस अवसर पर समाज के जरूरतमंद लोगों के बीच में शॉल का वितरण किया गया. मौके पर आप नेता बिरसा सोय ने कहा कि मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा चाहते थे कि वृहद झारखण्ड अलग राज्य बने.

इस वृहद झारखण्ड राज्य के आदिवासियों को केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जैसे पदों का अवसर मिल सके. उन्होंने संविधान सभा में बेहद वाकपटुता से देश की आदिवासियों के बारे में सकारात्मक ढंग से अपनी बात रखा था. संविधान सभा में ‘अनुसूचित जनजाति’ की जगह आदिवासियों को आदिवासी सूची में ही शामिल करने की मांग की थी. लेकिन मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा का सपना पूरा नहीं हुआ.

झारखंड राज्य अलग होने के बाद पांच आदिवासी मुख्यमंत्री बने लेकिन इसके बावजूद भी आज झारखंड के आदिवासियों का समुचित विकास नहीं होना चिंता का विषय है. आप नेता बिरसा सोय ने कहा कि झारखंड में आम आदमी पार्टी की सरकार बनते ही आदिवासियों के लिए बनाए गए कानूनों को सख्ती से लागू किया जाएगा. आप नेता रामकृष्ण मुंडारी उर्फ टेने ने कहा कि मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ने ही झारखंड अलग राज्य बनाने का सबसे पहले मुहिम छेड़ा था, लेकिन उनके सपनों का झारखंड नहीं बन पाया है.

आज समाज के हर परिवार के घरों में मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा का फोटो लगाना चाहिए, ताकि समाज के अगले पीढ़ियों को समाज का इतिहास मालूम हो सके. आप नेता जोगन सोय ने कहा कि झारखंड में सबसे अधिक खनिज संपदा का भंडार है, इसके बाबजूद भी जिस झारखंडियों के जमीनों के अंदर खनिज संपदा का भंडार है आज वही लोग भुखमरी की जिंदगी जीने को विवश हैं। ऐसे में हमारे मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के सपनों का झारखंड कैसे बन सकता है।

इसीलिए मैं आदिवासी समाज के तमाम बुद्धिजीवियों से निवेदन पूर्वक कहना चाहता हूं कि डूबते आदिवासी समाज को बचाने के लिए आगे आएं ताकि हम अपने वीर शहीदों के सपनों को साकार कर सकें। बिरसा सोय, रामकृष्ण मुंडारी, जोगन सोय, मंगल सिंह मुंडा, जादू मुंडा, बगराय मुंडा, जीदेन तीडु, सोनाराम मुंडा, आगनु मुंडा कार्तिक सिंह मुंडा, गौर सिंह मुंडा, मानो सिंह मुंडा, सुनीदेवाल पुरती, राजू मुंडा रघुनाथ मुंडा, मोहन सिंह मुंडा, दुर्गा मुंडा, जीतू मुड़ा, दुर्गा सिंह मुंडा, दिगम्बर स्वांसी, गोमा मुंडा, मुनि मुंडा आदि उपस्थित हुए।

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