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यहां चले जरा संभलकर, मौत मंडरा रही है दुर्घटना के बहाना से…..

सरायकेला: सरायकेला की सड़कों पर मौत का तांडव जारी है। इसमें चौका-कांड्रा मार्ग, सरायकेला-टाटा मार्ग, सरायकेला-चाईबासा मार्ग, सरायकेला- खरसावां मार्ग और सरायकेला-राजनगर मेन रोड भी शामिल है। आंकड़ों पर गौर करें तो सरायकेला में जनवरी 2021 से अब तक जिले में 242 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं। जिसमें 192 लोगों की जान चली गयी है। उसके बाद भी जुन महीने तक आये दिन सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जान जा रही है। इससे पहले भी खासकर, टाटा-कांड्रा-सरायकेला और चौका-कांड्रा-सरायकेला रोड पर हाल के महीनों में कई हादसों में लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस लिहाज से 16 महीने में जिले में मरनेवालों की संख्या दो सौ छूने के करीब आ पहुंचा है। बावजूद इसके सड़क पर बेतरतीब ढ़ंग से चलती छोटी-बड़ी गाड़ियों की संख्या और ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार नहीं होने की वजह से आगे भी हादसों का खतरा बने रहने की प्रबल संभावना जताई जा रही है।

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सड़क बनने के बाद भी कम नहीं हुये हादसे:-
एक समय ऐसा था जब सरायकेला- कांड्रा मार्ग की जर्जर हालत थी। उस दौरान भी आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती थी, जिसमें कइयों की जान जाती थी तो कई लोग गंभीर रुप से घायल हो जाते थे। उस दौरान दुर्घटनाओं के लिए जर्जर सड़क को ही जिम्मेदार ठहराया जाता था। फिर हालत यह हुई कि स्थानीय लोगों ने लंबे समय तक आंदोलन किया। यहां तक कि कानूनी लड़ाईयां भी लड़ी गई। नतीजन आदित्यपुर-टाटा-कांड्रा फोरलेन सड़क का निर्माण हुआ। बावजूद इसके जिले में सड़क दुर्घटनाओं में कमी नहीं आई है।

जिले भर में मेन रोड पर बेतरतीब ढ़ंग से वाहन खड़ा करना भी भारी परेशानी का कारण बना हुआ है। खासकर, सड़क किनारे बने होटलों और ढ़ाबों के सामने लाइन से भारी वाहन खड़े कर दिये जाते हैं। यह कितना दोपहिया और चारपहिया वाहन चालकों के लिए बेहद घातक साबित होते आया है। आंकड़ों की ही बात करें तो जिले की सड़कों पर खड़े वाहनों में ठोकर मारने से बीते 16 महीने में 98 लोगों की मौत हो चुकी है। इस तरह की अधिकांश दुर्घटनाएं टाटा – कांड्रा, सरायकेला – चाईबासा मार्ग के अलावा सरायकेला-कांड्रा, चौका-कांड्रा और राजनगर-हाता रोड पर हुई है।

इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है। यहां तक कि ट्रैफिक पुलिस और सड़क सुरक्षा समिति भी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रयासरत है। इसे लेकर जिलेभर में 32 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किये हैं। ताकि लोग वाहन चलाते वक्त सतर्क रहें। फिर भी सड़क हादसों पर अंकुश नहीं लगना कहीं न कहीं साबित करता है कि जिला प्रशासन के अब तक के सारे उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं।

हालांकि, इसमें भी शक नहीं है कि कई दुर्घटनाओं के लिए वाहन चालकों की लापरवाही भी जिम्मेदार है। वहीं, ड्रंक एंड ड्राइव भी कई हादसों का मुख्य कारण साबित होता है। ऐसे में यातायात व्यवस्था को बनाये रखने के प्रति वाहन चालकों में भी जागरुकता जरूरी है। प्रशासन को भी जिले भर में बड़े पैमाने पर इस तरह का जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत है। तब जाकर ही जिले में आये दिन हो रहे सड़क हादसों पर अंकुश लगाया जा सकना संभव हो पाएगा।

जरा करें गौर:-
सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत इन दिनों महज 1 दिन की चर्चा का विषय और अखबारों के लिए खबर बन जाता है। परंतु उसी सड़क दुर्घटना में मरे व्यक्ति का एक पूरा परिवार तबाह हो जाता है। और पूरे जीवन भर का दर्द उस परिवार को भुगतना पड़ता है। जिसके लिए जरूरी है कि सड़क पर चलने वाला हर एक व्यक्ति सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक बने। और सड़क सुरक्षा के नियमों का अक्षरश: पालन करें।

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