पारा शिक्षकों की समस्या समाधान का दावा झूठा: कुणाल दास
सरायकेला। राज्य सरकार द्वारा सूबे के प्रारंभिक स्कूलों में कार्यरत पारा शिक्षकों की वर्षो पुरानी समस्या के समाधान के दावे को झूठा करार दिया गया है. सरकारी सभाओं में मुख्यमंत्री और मंत्रियों द्वारा पारा शिक्षकों को सम्मान देते हुए स्थायी करने के दावों को टेट सफल सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) संघ झारखण्ड प्रदेश ने सिरे से खारिज़ कर दिया है. शुक्रवार को संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी सह वार्ताकार कमिटी सदस्य कुणाल दास ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए सरकार के दावों का खंडन और विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री सहित सत्ता पक्ष के कई मंत्री और विधायक लगातार अपनी सभाओं में पारा शिक्षकों को सम्मान देने एवं उनकी समस्याओं के समाधान कर चुकने के दावे कर रहे हैं जो कि बिल्कुल निराधार है.
चुनाव पूर्व हेमंत सरकार ने अपने घोषणा पत्र और चुनावी सभाओं में चीख-चीख कर सरकार गठन के तीन महीने के भीतर पारा शिक्षकों को स्थायी करते हुए उन्हें वेतनमान देने की बात कही थी. किंतु वास्तविकता यह है कि आज तीन साल बाद भी सरकार ने महज़ मानदेय में मामूली बढ़ोतरी के अलावा कुछ नहीं कर पाई है. जिस सेवा शर्त नियमावली का हवाला सरकार दे रही है वह नियमावली बिल्कुल ही बेतुकी और हास्यास्पद है. नियमावली में सरकार ने सभी पारा शिक्षकों को 60 वर्षों तक के लिए स्थायी करने की बात कही है किन्तु सरकार हमें बताए जब नई शिक्षा नीति पूरी तरह से प्रभावी होगी तब किस नियम के तहत ननटेट पारा शिक्षकों को भी सरकार बरकरार रख पाएगी. क्योंकि नई शिक्षा नीति के अनुसार सभी तरह के स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को टेट पास होना अनिवार्य है. इसके अलावा सर्विस बुक और अनुकंपा का प्रावधान बिल्कुल ही आधारहीन है. सरकार को बताना चाहिए कि इस तरह की हवा हवाई जॉब में किस प्रकार का सर्विस बुक बनेगा और पारा शिक्षकों की अनुकंपा पर सरकार आश्रितों को कौन सी नौकरी देगी. कुल मिलाकर यह नियमावली पूरी तरह से आईवॉश है.
हमारी मुख्य मांग टेट पास पारा शिक्षकों को योग्यता और अनुभव के आधार पर 9300-34800 वेतनमान के साथ सीधे समायोजित करने की थी और ननटेट पारा शिक्षकों को आकलन परीक्षा के आधार पर वेतनमान समतुल्य मानदेय देते हुए स्थायी करने की थी. इन सबसे उलटा राज्य सरकार मामूली मानदेय बढ़ोतरी और बेतुकी नियमावली का हवाला देकर जनता के बीच पारा शिक्षकों की समस्या समाधान का भ्रामक ढिंढोरा पीट रही है. टेट सफल सहायक अध्यापक संघ इसकी कड़ी निन्दा करता है. साथ ही सरकार को चुनौती देता है कि वाकई अगर हेमंत सरकार माटी की सरकार होने का दावा करती है तो टेट पास पारा शिक्षकों को सीधे सरकारी शिक्षक के पद पर समायोजित करें एवं ननटेट पारा शिक्षकों को आकलन परीक्षा के आधार पर वेतनमान समतुल्य मानदेय देते हुए स्थायी करे और अपने वादे को चरितार्थ करे. सरकार के झूठे दावों से जनता दिग्भ्रमित होती है और पारा शिक्षकों की आवाज दबी रह जाती है.