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1932 के खतियान आधारित स्थानीय

नीति के विरुद्ध एकता विकास मंच

जाएगा कोर्ट…..

सरायकेला (संजय मिश्रा) मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा कैबिनेट में दिए गए 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति के विरुद्ध एकता विकास मंच न्यायालय का दरवाजा खटखटायेगा। मुख्यमंत्री के बयान की एकता विकास मंच ने कड़ी निंदा की है और इसे वापस लेने की मांग करता है। इस वक्तव्य से झारखंड में सौहार्दपूर्ण माहौल में रह रहे लोगों के बीच भेदभाव की स्थिति उत्पन्न होने और शांति भंग होने की बात कही है।

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एकता विकास मंच द्वारा कहा गया है कि 15 नवंबर 2000 की पूर्व संध्या तक निवास करने वाले सभी लोगों की जनसंख्या दिखाकर झारखंड अलग राज्य हुआ है। ऐसे में 15 नवंबर 2000 की पूर्व संध्या तक निवास करने वाले सभी लोगों को स्थानीयता और नियोजन नीति में भागीदारी सुनिश्चित किया जाए। चाहे वे किसी भी धर्म जाति या प्रांत के या समुदाय के निवासी हो। इसके लिए एकता विकास मंच कोर्ट जाएगा। पूर्व में भी एकता विकास मंच द्वारा स्थानीयता नीति 15 नवंबर 2000 से लागू करने के लिए पीआईएल किया गया है। मंच के अध्यक्ष अरविन्द कुमार मिश्रा ने कहा कि झारखंड के विकास में आदिवासी और गैर आदिवासी सभी की समान और दायित्वपूर्ण भागीदारी रही है। परन्तु स्थानीयता की परिभाषा तय करने में काफी भेद भावपूर्ण नीति अपनायी जा रही है।

स्थानीय नीति तय करने के लिए राजनीतिक पार्टियों के स्वार्थपूर्ण एजेंडे से राज्य मे सौहार्दपूर्ण वातावरण में रह रहे लोगों के बीच वैमनस्य द्वेष की भावना उत्पन्न कर शांति भंग किया जा रहा है। वर्षों से झारखंड में निवास करनेवाले विभिन्न धर्म, संप्रदाय के निवासी आहत और पीड़ित हैं। जबकि अलग राज्य के गठन के लिए झारखंड में निवास करने वाली पूरी आबादी को आधार बनाया गया था। परन्तु स्वार्थ में लिपटे कुछ राजनीतिज्ञों के द्वारा गलत स्थानीय नीति परिभाषित कर झारखंड में रह रहे लोगों के बीच वैमनस्यता का बीज बो दिया गया है। जिससे सामाजिक अस्थिरता बढ़ रही है।

जबकि उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों के बेंच के द्वारा 1932 के खतियान के आधार पर आधारित स्थानीय नीति को 2002-2003 में असंवैधानिक करार दे दिया गया है। लेकिन राजनीतिक पार्टियां अपने स्वार्थ पूर्ण राजनीति के लिए अमन चैन शांति से निवास कर रहे लोगों के बीच 1932 के नाम ले लेकर शांतिपूर्ण माहौल में जहर घोलती रहती है। जिससे झारखंड के विकास बाधित होता है और शांति में खलल पैदा किया जा रहा है।

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