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एकदिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया,

कार्यशाला में गिरते लिंगपात को सुधारने पर चर्चा किया गया….

पाकुड़ (रणविजय गुप्ता संथाल ब्यूरो) पाकुड़ उपायुक्त वरूण रंजन के निर्देशानुसार आज PC &PNDT ACT) के तहत सोनाजोड़ी सभागार में एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। सिविल सर्जन की अध्यक्षता में PC & PNDT एक्ट के तहत एकदिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 (PC & PNDT ACT) का मुख्य उद्देश्य गर्भ धारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व लिंग चयन का निषेध करना तथा लिंग आधारित गर्भपात पर प्रतिबंध लगाकर गिरते लिंगानुपात को सुधारना है

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उक्त कार्यशाला की शुरुआत करते हुए सिविल सर्जन डॉक्टर मंटू कुमार टेकरीवाल ने कहा कि लिंग निर्धारण एवं लिंग जांच करने वाले क्लीनिक, चिकित्सक एवं अन्य की पहचान कर गर्भ धारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 (PC &PNDT ACT) अंतर्गत जिला में अनुश्रवण का कार्य करने का निर्देश प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 (PC &PNDT ACT) का मुख्य उद्देश्य गर्भ धारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व लिंग चयन का निषेध करना तथा लिंग आधारित आधारित गर्भपात पर प्रतिबंध

(PC &PNDT ACT) के तहत प्रावधान:-

1 प्रत्येक केन्द्र को सामान्य सरल एवं क्षेत्रीय भाषा में जनसामान्य की जानकारी के लिए बोर्ड लगाना चाहिए कि लिंग निर्धारण कानूनन गलत है। और ऐसा करना कानूनी अपराध है।

2 कम से कम पी०सी० पी० एन०डी०टी० अधिनियम की एक प्रति अवश्य उपलब्ध होनी चाहिए और मांगने पर प्रार्थी अथवा निरीक्षण टीम को प्रस्तुत भी करनी चाहिए।

3 संचालक द्वारा किसी भी ऐसे चिकित्सक को अल्ट्रासाउण्ड करन हेतु नहीं रखना चाहिए जिसके पास कानून में की गयी व्याख्या के अनुरूप योग्यता न हो।

4 प्रत्येक केन्द्र पर एक ऐसा रजिस्टर रखना चाहिए जिसमें किसी भी प्रकार प्रसव पूर्व गर्भ जांच तकनीकी का इस्तेमाल (मुख्यता अल्ट्रासाउण्ड ) किया गया हो, का पता एवं अन्य जानकारी तिथिवार लिखा होना चाहिए।

5. प्रत्येक महिला जिसकी जांच की गयी हो, उसका कानून के अंतर्गत निर्धारित प्रपत्र भरा होना चाहिए। अल्ट्रासाउण्ड के संबंध में प्रारूप एफ. (Form F) भरा जाना चाहिए।

(6). अधुरा वा गलत सूचना अनु0 5 या 6 का उल्लंघन माना जायेगा।

7. प्रत्येक प्रारूप एफ के साथ रेफरल स्लिप इत्यादि भी संलग्न होने चाहिए।

8. दस्तावेज कम से कम दो साल या यदि कोई मामला कोर्ट में हो तो वह जब तक खत्म न हो जाए तक तक सुरक्षित रखना चाहिए।

9. यह सभी दस्तावेज निरीक्षण टीम / समुचित प्राधिकरण को आवश्यकतानुसार अवलोकनार्थ उपलब्ध कराये जाने चाहिए।

10. यदि ऐसे दस्तावेज संस्थान / क्लीनिक के द्वारा कम्प्यूटर पर रखे जाते हों तो उनकी प्रिन्टेड कॉपी अधिकृत व्यक्ति के द्वारा हस्ताक्षरित कॉमी रिकॉर्ड हेतु रखी जानी चाहिए।

11. प्रतिमाह जांच की हुई गर्भ संबंधी ऐसी सभी जांचों का ब्यौरा हर माह की पांच तारीख तक जिला समुचित प्राधिकारी (सिविल सर्जन) को भेजना चाहिए।

12. समुचित प्राधिकारी के कार्यालय में मासिक रिकार्ड जमा करने के बाद रिकार्ड जमा करने का साक्ष्य भी रखना चाहिए।

13. केन्द्र पर किसी भी प्रकार के परिवर्तन जैसे स्थान, पता, नयी मशीन खरीद संचालक चिकित्सक की संख्या में वृद्धि पर उनके आवश्यक दस्तावेज के साथ ऐसी सूचना को समुचित प्राधिकारी को उपलब्ध कराना चाहिए व दस्तावेज रिकॉर्ड में भी उपलब्ध होना चाहिए।

14. मशीनों का संचालन करने वाले डॉक्टर का नाम।

15. यदि मशीन किसी वजह से खराब है और उसे मरम्मत की आवश्यकता है या मशीन का उपयोग किसी कारणवश कुछ समय के लिए नहीं किया जा रहा हो तो ऐसी सूचनाएँ समुचित प्राधिकारी को देनी चाहिए और मशीन का उपयोग किसी अन्य स्थान मेला / कैम्प इत्यादि में किया जाना हो तो पूर्व अनुमति समुचित प्राधिकारी से प्राप्त की जानी चाहिए।

एकदिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी,जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, एनजीओ एवं अल्ट्रासाउंड केंद्र के संचालक, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मी उपस्थित थे।

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