रजरप्पा वासंतिक नवरात्र के पहले दिन क्षेत्रों में भक्तिमय…
रामगढ़ (इन्द्रजीत कुमार ) वासंतिक नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के साथ बुधवार को सिद्धपीठ रजरप्पा स्थित छिन्नमस्तिके मंदिर व गिरी बाबा आश्रम में नौ दिवसीय वासंतिक नवरात्र शुरू हुई। इसके साथ ही क्षेत्र में नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र का अनुष्ठान शुरू हो गया। पहले दिन माता शैलपुत्री का आह्वान किया गया। स्थानीय पुजारियों के अनुसार, सिद्धपीठ रजरप्पा स्थित छिन्नमस्तिके मंदिर प्रक्षेत्र जागृत पीठ के रूप में माना जाता है। इसके कारण झारखंड सहित बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ सहित आसपास के अन्य राज्यों से साधक यहां पहुंचकर साधना करते हैं। इधर, कोयलाचंल सहित आसपास के क्षेत्रों में भी वासंतिक नवरात्र के पहले दिन क्षेत्रों में भक्ति की बयार रही है। कई लोगों ने अपने घरों में ही कलश की स्थापना की। इसमें माता की शक्ति की भक्ति में सारे लोग लीन हो गए। साथ ही स्थानीय दुर्गा मंदिरों में भी तैयारी जोर-शोर से चल रही है। इधर गिरि बाबा आश्रम में भी कलश स्थापना की गई है।
मौके पर मौजूद आश्रमाचार्य रामशरण गिरी बाबा ने बताया कि यहां लगातार नौ दिनों तक भंडारे व रात्रि में भक्ति जागरण किया जाएगा। इसमें भारी संख्या में लोग मौजूद रहेंगे। उन्होंने कहा कि मां दुर्गे के नौ स्वरूपों को जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा करते हैं। मां उन्हें मनोवांछित फल प्रदान करती है। मान्यता है कि असम स्थित मां कामाख्या मंदिर सबसे बड़ी शक्तिपीठ है, जबकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शक्तिपीठ रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर ही है। रजरप्पा के भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर आस्था की धरोहर है। मंदिर के वरिष्ठ पुजारी लोकेश पंडा ने बताया कि वैसे तो यहां साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है, लेकिन शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि के समय भक्तों की संख्या बढ़ जाती है।
6000 वर्ष पुराना है यह मंदिर :
मंदिर की उत्तरी दीवार के साथ रखे एक शिलाखंड पर दक्षिण की ओर रुख किए माता छिन्नमस्तिके का दिव्य रूप अंकित है। मंदिर के निर्माण काल के बारे में पुरातात्विक विशेषज्ञों में मतभेद है। कई विशेषज्ञ का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण 6000 वर्ष पहले हुआ था और कई इसे महाभारतकालीन का मंदिर बताते हैं। छिन्नमस्तिके मंदिर के अलावा, यहां महाकाली मंदिर, सूर्य मंदिर, दस महाविद्या मंदिर, बाबाधाम मंदिर, बजरंगबली मंदिर, शंकर मंदिर और विराट रूप मंदिर के नाम से कुल सात मंदिर हैं। पश्चिम दिशा से दामोदर तथा दक्षिण दिशा से कल-कल करती भैरवी नदी का दामोदर में मिलना मंदिर की खूबसूरती का बढ़ावा देता है।