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डीएसई ने स्कूली बच्चों को नशापान के दुष्प्रभाव का पाठ पढ़ाते हुए इससे दूर रहने की अपील की  . . .

  • सरायकेला : संजय

जिला शिक्षा अधीक्षक चार्ल्स हेंब्रम चाइल्ड इंटरेक्शन को लेकर सरायकेला प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय पठानमारा पहुंचे। जहां उन्होंने नशामुक्ति कार्यक्रम को लेकर स्कूली बच्चों के साथ एक संपूर्ण कक्षा लेते हुए छात्रों को नशापान दूर रहने का पाठ पढ़ाया। मौके पर उन्होंने कहा कि भारत युवाओं का देश है। और युवा इन दिनों नशे के शिकंजे में फंसते जा रहे हैं। जिससे घर परिवार, महिलाएं एवं बच्चों का जीवन अंधकार में हो रहा है। नशा के कारणों पर चर्चा करते हुए उन्होंने इसे जागरूकता का अभाव, संगति का प्रभाव, नशे के पदार्थों तक सहज पहुंच, बेरोजगारी जैसे विकास के साधनों की कमी, बड़ों के व्यवहार में लापरवाही, सिनेमा का प्रभाव, वैश्वीकरण के तहत भारत की संस्कृति का त्याग, पश्चिमी संस्कृति और उपभोक्तावाद जैसे मौज मस्ती का जीवन में समावेश, एकल परिवार के कारण बढ़ता अकेलापन को कारण बताया।

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नशे के दुष्प्रभाव पर चर्चा करते हुए उन्होंने परिवार में विघटन, घरेलू हिंसा में वृद्धि, स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव, प्रतिभा का ह्रास, गरीबी को बढ़ावा, सामाजिक तनाव में वृद्धि और अपराध में वृद्धि की जानकारी दी। इसके साथ ही नशे से बचाव के लिए उन्होंने बच्चों की संगति पर ध्यान देने, आदर्श रोल मॉडल का चलन विकसित करने, खेलकूद में व्यस्तता, रोजगार परक शिक्षा, करियर काउंसलिंग, पुस्तकों से दोस्ती और मोबाइल से दूरी के लिए कहा। उन्होंने बताया कि ठोस नशीले पदार्थ भांग, गांजा और अफीम जैसे सोचने समझने की क्षमता कम कर देते हैं। इसी प्रकार तरल पेय नशा पदार्थ शराब, महुआ और हड़िया सहित सिगरेट, पान गुटखा एवं खैनी तंबाकू जैसे टेस्टोस्टरॉन एस्ट्रॉयड शरीर के लिए उत्तेजक पदार्थ के रूप में हानिकारक होते हैं। उन्होंने उपस्थित सभी छात्रों से राष्ट्र हित और जीवन हित में नशा पान से दूर रहने की अपील की।

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