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न्याय के लिए संघर्ष करते हुए एक और विस्थापित ने दी अपने प्राणों की आहूति…

एक साल पहले धरना स्थल पर ट्रैक्टर की चपेट में आने के बाद जिंदगी और मौत से लड़ रहे निरंजन महतो का आज निधन, विस्थापितों ने जताया शोक

चांडिल:जगबंधु महतो

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चांडिल डैम के पुर्नवास और अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे 84 मौजा के आंदोलनकारियों में से एक निरंजन महतो की आज मौत हो गई। जमशेदपुर स्थित टीएमएच में उन्होंने दम तोड़ दिया। बताया गया कि पिछले साल चांडिल डैम के विस्थापित अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे थे, उसी वक्त धरना स्थल पर एक अनियंत्रित ट्रैक्टर धरना स्थल पर पलट गई जिसकी चपेट में कई प्रदर्शनकारी आ गये, जिसमें से आधा दर्जन करीब गंभीर रूप से घायल हो गये। निरंजन महतो का तब से इलाज चल रहा था, और आज उनकी मौत हो गई। इसके बाद सभी विस्थापित काफी आहत हैं। उनका कहना है कि निरंजन महतो ने आंदोलन को जारी रखने के लिए बलिदान दिया है, उनके इस बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

क्या था मामला

28 सितंबर 2022 को चांडिल डैम रोड स्थित सुवर्णरेखा परियोजना के अंचल एवं प्रमंडल कार्यालय के सामने 116 गांवों के विस्थापित आमरण अनशन पर बैठे थे। जब अनियंत्रित ट्रैक्टर धरना स्थल पर पलट गई।जिसमें कई विस्थापित गंभी रूप से घायल हो गये थे।

जिसमें निर्मल महतो, निरंजन महतो, राकेश महतो और रिंकू महतो गंभीर रूप से घायल हुए थे। पिछले एक साल से निरंजन महतो का इलाज टीएमएच में चल रहा था। निरंजन हेवेन पंचायत कल्याणपुर निवासी हैं। इसकी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए हजारों विस्थापितों का जुटान हुआ है।

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